हिंडनबर्ग के झटके से बिखरा अडानी का साम्राज्य, शेयर धारक घबराएं नहीं, जानिए पूरा गणित

adani
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नई दिल्ली। 24 जनवरी को अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में अडानी समूह की कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए गए। कहा गया कि अडानी समूह ने अपने खाते में हेराफेरी की है। शेयरों के दाम ओवर प्राइस कर रखे हैं। रिसर्च फर्म ने 88 सवाल पूछे। अडानी समूह की ओर से भी पलटवार किया गया। दोनों ओर से आरोप.प्रत्यारोप का दौर जारी है, लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह के शेयर्स धराशायी हो गए हैं।

10 दिनों में अडानी ने 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक गंवा दिए। जिसके बाद कंपनी में निवेश करने वाली कंपनियों की भी मुश्किलें शुरू हो गई। एलआईसी यानी जीवन बीमा निगम यानी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी ने भी अडानी समूह में बड़ा निवेश किया है। जाहिर है कि जिस शेयर में पैसा लगाएगा, उसके दाम नीचे गिरने से निवेशक को नुकसान होगा। यानी एलआईसी को भी नुकसान हुआ।

इसे थोड़ा साधारण भाषा में समझते है। किसी को घाटा या मुनाफा तब तक नहीं होता, जब तक वो शेयर को बेचता नहीं है। एलआईसी ने अडानी के शेयर्स में पैसा लगाया है। आज अडानी के शेयर के दाम गिर रहे है, तो एलआईसी को नुकसान हो रहा है। कल बढ़ेंगे तो मुनाफा होगा। इस तरह के नफा.नुकसान को नोशनल मुनाफा या नुकसान कहते हैं। क्योंकि ये असली घटा या लाभ नहीं होता। जब आप शेयर बेचते हैं तब घाटे या नफा की बात होती है। चूंकि एलआईसी ने अभी अडानी के कोई शेयर बेचे नहीं है इसलिए अभी घाटे की बात नहीं की जा सकती।

अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद गौतम अडानी के साम्राज्य को बड़ा झटका लगा है, उनकी नेटवर्थ में लगातार गिरावट आ रही है। Bloomberg Billionaires Index के मुताबिक, गौतम अडानी की नेटवर्थ में आई गिरावट के चलते अब वे अरबपतियों की लिस्ट में खिसककर 21वें पायदान पर पहुंच गए हैं। उनकी कुल संपत्ति घटकर 61.3 अरब डॉलर रह गई है और बीते 24 घंटे में उन्हें 10.7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।

कौन है हिंडनबर्ग का मालिक
नाथन एंडरसन नाम के एक शख्स ने अमेरिका की कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल बिजनेस में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वो नौकरी की तलाश में जुट जाता है, उसकी ये तलाश एक डेटा रिसर्च कंपनी की दहलीज पर आकर रुकती है, यहां उसे नौकरी मिल जाती हैण् इस कंपनी में उसका काम पैसों के इनवेस्टमेंट से जुड़ा होता है। 

नौकरी करते हुए एंडरसन डेटा और शेयर मार्केट की बारीकियों को समझता है। उसे इस बात का अंदाजा हो जाता है कि शेयर मार्केट दुनिया के पूंजीपतियों का सबसे बड़ा अड्डा है। इसमें ;शेयर मार्केट काफी कुछ ऐसा हो रहा है जो आम लोगों की समझ से बाहर है। इसी वजह से एंडरसन के दिमाग में फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी शुरू करने का आइडिया आता है, साल 2017 में एंडरसन हिंडनबर्ग नाम से एक कंपनी की शुरुआत करता है।

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