Historic Lakshagriha ज्ञानवापी के बाद मुस्लिम पक्ष को एक और झटका

Historic verdict in Lakshagriha
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बागपत। Historic verdict in Lakshagriha बरनावा में कृष्णा व हिंडन नदी के संगम पर स्थित महाभारत कालीन ऐतिहासिक टीला लाक्षागृह पर कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने इसे हिंदू समाज को देने का फैसला सुनाया है। मुस्लिम समाज ने इसे शेख बदरुउद्दीन की दरगाह व कब्रिस्तान बता कर दावा करते हुए याचिका दायर की थी। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया। इस पर हिन्दू पक्ष को मालिकाना हक दे देने के बाद टीले की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। लाक्षागृह पर पुलिस ने तम्बू लगाकर डेरा डाल लिया है।

कोर्ट का फैसला आने के बाद बरनावा में बड़ौत मेरठ मार्ग स्थित लाक्षाग्रह के मुख्य द्वार लेकर सम्पूर्ण टीले पर चप्पे चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात है। सुरक्षा की दृष्टि से यहॉ थाना पुलिस सहित डेढ़ सेक्सन पीएसी तैनात की गई। लाक्षाग्रह टीले का कोर्ट द्वारा हिंदुओ के पक्ष में फैसला सुनाने के बाद मंगलवार को संस्कृत विद्यालय की यज्ञ शाला में आचायो व ब्रह्मचारियों ने यज्ञ किया। इस दौरान प्रधानाचार्य आचार्य अरविंद कुमार शाश्त्री ने बताया कि यह सत्य की जीत हुई है।

बरनावा के प्राचीन टीले को लेकर 54 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है। दरअसल बरनावा के रहने वाले मुकीम खान ने वर्ष 1970 में मेरठ की अदालत में वाद दायर किया था। जिसमें उन्होंने लाक्षागृह गुरुकुल के संस्थापक ब्रह्मचारी कृष्णदत्त महाराज को प्रतिवादी बनाया था। इसमें मुकीम खान और कृष्णदत्त महाराज दोनों का निधन हो चुका है और दोनों पक्ष से अन्य लोग पैरवी कर रहे हैं। अब यह मामला बागपत में सिविल जज जूनियर डिवीजन प्रथम की कोर्ट में चल रहा था। जिसमें एक पक्ष से अय्यूब, मुन्ना समेत अन्य और दूसरे पक्ष से गांधी धाम समिति के प्रबंधक राजपाल त्यागी वकीलों के माध्यम से कोर्ट में अपने.अपने साक्ष्य प्रस्तुत कर चुके हैं। जिससे केस फैसले पर आ गया थ।

इसमें मुकीम खान की तरफ से वाद दायर करते हुए दावा किया गया था कि बरनावा में प्राचीन टीले पर शेख बदरूद्दीन की दरगाह और कब्रिस्तान है। वह सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में दर्ज होने के साथ ही रजिस्टर्ड है। उसमें कहा गया था कि कृष्णदत्त महाराज बाहर के रहने वाले है और वह कब्रिस्तान को खत्म करके हिंदुओं का तीर्थ बनाना चाहते हैं। इस पक्ष के वकील शाहिद अली का कहना है कि उनकी तरफ से सभी साक्ष्य कोर्ट में दिए हुए है और उसके आधार पर फैसला होने की उम्मीद है।

वहीं बरनावा के लाक्षागृह स्थित संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य आचार्य अरविंद कुमार शास्त्री का कहना है कि यह एतिहासिक टीला महाभारत कालीन लाक्षाग्रह है। यहां सुरंग व अन्य अवशेष इसका प्रमाण है। इसके सभी साक्ष्य कोर्ट में पैरवी कर रही गांधी धाम समिति के पदाधिकारियों ने दिए हुए थे। Historic verdict in Lakshagriha इन्हीं सब के आधार पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।

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