Agriculture बरसात में इस सब्जी की खेती करें, हो जाएंगे मालामाल, कम लागत और मुनाफा ज्यादा

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वैसे तो अगर आप वैज्ञानिक तरीके से खेती करते हैं तो आपको नुकसान होने की संभावना कम ही रहती है और आपको फायद भी अधिक मिलता है। कई तरह की सब्जियां ऐसी होती हैं जो सीजन में आपको अधिक उम्मीद से अधिक फायदा दे जाती हैं। बस आपको थोड़ा सा सावधान होने की आवश्यकता है। यहां हम आपको एक ऐसी सब्जी की खेती के बारे मे बताने जा रहे हैं, जिससे लागत न के बराबर है और फायदा उससे कहीं दोगुना है। तो आइए जानते है। उसके बारे में।

यहां बात करते जा रहे हैं बैगन की खेती के बारे में। भारत में बैंगन का बहुत उत्पादन होता है, पूरी दुनिया में चीन के बाद सबसे ज्यादा बैंगन का उत्पादन भारत में किया जाता है। वैसे भी बैंगन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा यह पेट की बीमारियों में भी काफी लाभप्रद है। इसकी सब्जी और भर्ता बहुत ही स्वादिष्ट बनता है।

Brinjal Farming

बैंगन की खेती बरसात में किसानों को अच्छा फायदा पहुंचाती है। उत्तर भारत के किसानों को बैंगन की खेती पर बहुत अधिक विश्वास है। आमतौर पर बैंगन बैंगनी रंग का होता है, परंतु दुनियाभर में सफ़ेद, हरा और पीला बैंगन भी पाया जाता है।

मिट्टी का 5.7 पीएच और उपजाऊ मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे बढ़िया मानी जाती है। शुष्क और आद्र जलवायु में बैंगन की फसल अच्छी पैदावार देती है। इसके अलावा बैंगन की खेती के लिए मध्यम बारिश की आवश्यकता होती है। बैंगन के पौधों की रोपाई के समय तापमान 20 डिग्री के आसपास होना चाहिए।

बैंगन के पौधों को रोगों से बचाने के लिए अच्छे कीटनाशक का उपयोग करना बहुत जरूरी है। बैंगन की फसल से प्रति हेक्टेयर 400.500 क्विंटल फसल प्राप्त की जा सकती है। आमतौर पर बैंगन का भाव 10 से 15 रुपए रहता है, लेकिन फिर भी कम लागत की फसल होने के कारण आप इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

बैगन में लगने वाले रोग
तना एवं फल बेधक
यह कीट पत्तों के साथ साथ बैंगन को अंदर से भी खा जाते है, जिसके कारण फसल की उपज को नुकसान पहुंचता है।

लाल मकड़ी, यह लाल मकड़ी पत्तों के नीचे जाल बनाकर पत्तों का रस चूसती है। इसके कारण बैगन के पत्ते लाल रंग के दिखाई देने लगते है।

जैसिड, इस प्रकार के कीड़े पत्तों के नीचे चिपककर रस चूसते हैं। जिसके कारण पत्तियां का रंग पीला और पौधे कमजोर हो जाते है।

जड़ निमेटोड, इससे पौधों की जड़ों में गांठ बन जाती है जिसकी वजह से पत्तियों का रंग पीला और पौधों का विकास रूक जाता हैण् जड़ निमेटोड के ये प्रमुख लक्षण है।

एपीलैक्ना बीटल, एपीलैक्ना बीटल पत्तों को खाने वाला लाल रंग का छोटा कीड़ा होता है।

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