आज भी सती के श्राप का अभिशाप झेल रहे सहारनपुर के दो गांव, एक गलती ने कर दिया बर्बाद

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सहारनपुर। दो गांव ऐसे हैं जहां के लोग एक दूसरे के यहां भोजन करना तो दूर पानी तक नहीं पीते है। यह सब एक श्राप की वजह से है। आधुनिक युग में यह बातें आपको अजीब लग सकती हैं, लेकिन यह सत्य है। ऐसा नहीं है कि दोनों गांवों में दुश्मनी है। दोनों गांवों के लोग एक दूसरे के सुख दुख में शरीक होते हैं, लेकिन न तो कुछ लेते देते हैं और न ही पानी पीते हैं।

हम बात कर हैं उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले की। यहां के बड़गांव क्षेत्र के दो गांव हैं सिसौनी और कातला। इसे अब आप अंधविश्वास कह सकते हैं, लेकिन यह सालों पहले एक परंपरा शुरू हुई थी, जो आज तक पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। यहां के बुजुर्ग आने वाली पीढ़ी को कुछ और दें या न दें, लेकिन विरासत में यह जरूर देते हैं कि उस गांव का पानी भी नहीं पीना है।
अब ऐसा क्यों है इसकी भी कहानी काफी दिलचस्प है।

दरअसल सिसौनी गांव की एक लड़की की शादी कातला गांव के एक लड़के के साथ हुई थी। लड़का भेड़ बकरियां चराया करता था। वह अपनी बकरियां लेकर अक्सर सिसौनी की तरफ चला जाया करता था। यह बात सिसौनी गांव के लोगों को अच्छी नहीं लगती थी। और यह सही भी था क्योंकि किसी को भी यह स्वीकार नहीं था कि उनका दामाद उन्हीं के गांव में आकर बकरियां चराए। गांव वालों ने लड़के को मना किया, लेकिन वह नहीं माना। जब कई बार मना करने के बावजूद वह नहीं माना तो एक दिन सिसौनी के लोगों ने अपने दामाद की पीट पीटकर हत्या कर दी।

उधर जब यह बात लड़की को चली तो वह रोती चिल्लाती घटनास्थल पर पहुंची। वहां उसके पति की लाश पड़ी थी। बहुत देर तक तो वह लाश के पास बैठकर रोती रही। इसके बाद वह पति की लाश उठाकर अपनी ससुराल कातला के लिए चल दी, लेकिन वह इतना दुखी थी कि उसने बड़गांव और खुदाबक्श पुर के पास पति के शव के साथ सती हो गई। बताया जाता है कि सती होने से पहले उसने दोनों गांवों के लोगों को श्राप दे दिया। उसने सिसौनी को श्राप दिया कि उनके परिवार में किसी के यहां कभी एक से अधिक बच्चा पैदा नहीं होगा और कातला के लोगों को श्राप दिया कि अगर उन लोगों ने सिसौनी के किसी भी व्यक्ति के यहां पानी भी पिया तो वह विक्षिप्त हो जाएंगे।

इसके बाद दोनांे गांवों के लोग एक दूसरे से परहेज करने लगे। हालांकि समय के साथ सिसौनी का श्राप तो खत्म हो गया, लेकिन कातला के लोग अभी भी सिसौनी के किसी भी घर में पानी नहीं पीते है। कातला गांव के बुजुर्ग और पूर्व प्रधान ठाकुर सुखपाल सिंह कहते हैं कि उन्हंे उनके बुजुर्गों ने यह बात बताई थी और उन्होंने मान ली अब उन्होंने यह बात अपने बच्चों को बताई है जिसे वह भी मान रहे हैं। बस दोनों गांवों में एक बात कॉमन है कि जिस जगह वह लड़की सती हुई थी वहां आज भी दोनों गांव में कोई शादी होती है तो नव विवाहित जोड़ा सती स्थल पर आशीर्वाद लेने जरूर जाता है।

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