
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने सरकारी विभागों में चतुर्थ श्रेणी पदों के लिए उच्च शिक्षित युवाओं को अपात्र ठहराए जाने के फैसले को सही बताकर उच्च शिक्षित आवेदकों की दोनों अपील खारिज कर दीं। कोर्ट ने कहा कि किसी भी पद के लिए उपयुक्त शैक्षिक योग्यता निर्धारित करने का नियोक्ता के पास अधिकार है, बशर्ते यह मनमाना या तार्किक कसौटी के विपरीत न हो।
हाईकोर्ट की एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखते हुए जस्टिस अली मोहम्मद मागरे और जस्टिस संजय धर की खंडपीठ ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी पदों की भर्ती के लिए न्यूनतम 10वीं व अधिकतम 12वीं कक्षा की शैक्षिक योग्यता बिल्कुल स्पष्ट है। कोर्ट इसे मनमानी अथवा गलत नहीं मानती। खंडपीठ ने कहा कि नियोक्ता को किस पद के लिए कैसे आवेदक उपयुक्त लगते हैं, इसके निर्धारण में कोर्ट दखल नहीं दे सकती। इसमें केवल मनमानी होने पर ही हस्तक्षेप किया जा सकता है और इस मामले में यह मनमानी नहीं है।
छोटे काम के लिए उच्च शिक्षित उपयुक्त नहीं कोर्ट ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी पदों के लिए अधिकतम शैक्षिक योग्यता 12वीं पास निर्धारित करने के पीछे कई कारण है। उच्च शिक्षित यदि इस पद को हासिल करेंगे तो वे छोटे काम के लिए संभव है उपयुक्त विकल्प साबित न हों, जबकि दसवीं से बारहवीं पास अभ्यर्थी इस काम को ज्यादा प्रभावी ढंग कर सकेंगे।
खंडपीठ ने कहा कि उच्च शिक्षित अभ्यर्थी यदि चतुर्थ श्रेणी पद हासिल कर लेते हैं तो भी वे ऊंचे पदों के लिए प्रयास करते रहेंगे। उनका ऊंचे पदों पर चयन होने पर चतुर्थ श्रेणी पद फिर खाली हो जाएंगे, जिसे लेकर नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया चलानी पड़ सकती है। कोर्ट ने कहा कि भर्ती में दसवीं से बारहवीं कक्षा पास की प्रतिस्पर्धा उच्च शिक्षित से होगी तो उच्च शिक्षित का ही चयन होगा। ऐसे में विज्ञापित पद के लिए सबसे उपयुक्त अभ्यथी की दावेदारी प्रभावित होगी।