
सहारनपुर। तीतरों क्षेत्र के एक मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे के साथ अमानवीयता की हद पार की गई। बच्चे को इंसान बनाने का तर्क देकर जंजीरों में बांधकर रखा गया। दो दिन बंधक रहने के बाद बच्चा रात के समय किसी तरह वहां से निकलकर करीब तीन किलोमीटर दूर पड़ोसी गांव में एक घेर में जाकर छिप गया। पता चलने पर परिजन मौके पर पहुंचे और बच्चे को अपने साथ ले गए।
मोहम्मदपुर गुर्जर गांव निवासी रामकुमार के घेर में शनिवार सुबह करीब 10 वर्षीय बच्चा कोने में जंजीरों में बंधा हुआ बैठा था। जब रामकुमार के परिवार के सदस्य वहां पहुंचे तो उन्होंने बच्चे को देखा। पता चलते ही वहां पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई।
पूछताछ करने पर बच्चे ने खुद को पड़ोसी गांव बाल्लू का रहने वाला बताया। बताया कि उसका पिता बिहार में कपड़ों की फेरी लगाने का काम करता है। मां ने उसे एक मदरसे में उर्दू की तालीम के लिए भेजा था, लेकिन वहां पर कारी ने उसकी पिटाई की और हाथ-पैर में लोहे की जंजीर डालकर दूर बांध दिया।
बच्चे ने यह भी आरोप लगाया कि उसकी मां ने खाना भिजवाया था, लेकिन खाना नहीं दिया गया। वह दो दिनों से भूखा है। कारी उसे इंसान बनाने की नसीयत देकर पिटता था। ग्रामीण बबलू कुमार, सोनू कुमार, महिपाल सिंह, सन्नी कुमार, सुभाष आदि ने बताया कि बच्चा बेहद ही डरा व सहमा हुआ था। ग्रामीणों ने उसके हाथ से जंजीर खोली।
पता चलने पर उसके परिजन भी वहां पर पहुंच गए। परिजनों ने बताया कि बच्चा गलत संगत में पड़कर चोरी करने लगा था, जिस कारण उसे जंजीरों में बांध रखा था। इसके बाद परिजन बच्चे को अपने साथ लेकर चले गए।