बागपत। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर 27 साल बाद महासंयोग बन रहा है। इस साल केवल एक ही दिन यानि 30 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस महासंयोग में व्रत रखने से इच्छा अनुसार फल की प्राप्ति होगी। आर्थिक, शारीरिक, मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने बताया कि हर साल स्मार्त और वैष्णव की अलग-अलग जन्माष्टमी होती थी। इसका कारण है कि वैष्णव उदयतिथि और स्मार्त वर्तमान तिथि को माना जाता है। हर बार अष्टमी दो या चार बजे एक दिन पहले आ जाती थी। इस बार अष्टमी 29 अगस्त की रात 11.27 बजे लगेगी और 31 अगस्त सुबह 2 बजे तक रहेगी। इसके अलावा रोहिणी नक्षत्र 30 अगस्त को सुबह 6.40 बजे लगेगा। इस दिन लव करण भी रहेगा। यह संयोग 1994 में हुआ था।
पंडित राजकुमार शास्त्री के अनुसार सोमवार का दिन होना भी एक महासंयोग है। चंद्रमा रात 11.32 बजे उदय होंगे। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र अष्टमी के संयोग में हुआ था। उस समय चंद्रमा भी वृष राशि में स्थित था और इस बार यह सभी संयोग जन्माष्टमी पर है। इस महासंयोग में व्रत करने पर इच्छानुसार फल की प्राप्ति होगी। आर्थिक, शारीरिक, मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी। जन्माष्टमी के दिन सात्विक रहे और किसी की आत्मा को कष्ट न पहुंचाए। 30 अगस्त को रात 12 बजे उपवास खोला जाएगा।