नई दिल्ली । पिछले काफी समय से भारतीय राजनीति अयोध्यापति भगवान श्रीराम के आसपास घूमती नजर आई है. सभी पार्टियां राम के नाम पर ही जनता को लुभाने की कोशिश करती रही है. अब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने रामायण का रुख किया है. केरल में पार्टी की मलप्पुरम जिला कमेटी ने रामायण पर ऑनलाइन टॉक सीरीज शुरू की है. इसे राइट विंग और संघ परिवार के खिलाफ सियासी जंग में नया हथियार माना जा रहा है.
CPI मलप्पुरम की जिला कमेटी ने अपने फेसबुक पेज पर 7 दिवसीय ऑनलाइन टॉक प्रोग्राम शुरू किया है. इसमें पार्टी के राज्य स्तरीय नेता भी रामायण और राम पर अपनी बात रख रहे हैं. इस प्रोग्राम का नाम रखा गया है- रामायण और भारतीय विरासत. 25 जुलाई को शुरू हुए इस टॉक शो का आज आखिरी दिन है.
रामायण देश की परंपरा का हिस्सा
CPI मलप्पुरम के डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी पीके कृष्णादास ने बताया कि मौजूदा वक्त में सांप्रदायिक और फांसीवादी ताकतें हिंदुत्व से जुड़ी हर चीज पर अपना दावा करती हैं. दूसरी ओर बड़े पैमाने पर समाज और अन्य राजनीतिक दल इससे दूर जा रहे हैं. रामायण जैसे महाकाव्य हमारे देश की साझी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा हैं. टॉक शो के जरिए पार्टी ने यह जानने की कोशिश की है कि प्रगतिवादी दौर में रामायण को कैसे पढ़ा और समझा जाना चाहिए.
संघ परिवार पर साधा निशाना
रामयाण के समकालीन राजनीति पर बात करते हुए CPI के केशवन नायर ने कहा कि रामायण कालीन राजनीति उससे बिल्कुल अलग थी, जैसी संघ परिवार करता चला आ रहा है. उन्होंने कहा कि भगवान राम को विरोधाभासी शक्तियों के वाहक के रूप में दिखाया गया है. रामायण का गहन अध्ययन करने पर कार्ल मार्क्स के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद सिद्धांत की बात कम्युनिस्टों के दिमाग में सबसे पहले आती है.