तो यह था संसद में घुसपैठ के पीछे का मकसद, खुला राज, विदेशी फंडिंग और ब्रेन वॉश

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नई दिल्ली। इस समय पूरे देश में केवल एक ही चर्चा है और वह संसद में घुसपैठ का। चर्चा यह भी हो रही है कि यदि कि अभेद्य सुरक्षा में भी आसानी से सेंध लग सकती है तो सामान्य जगहों पर क्या नहीं हो सकता है। संसद में घुसपैठ करने के आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सामने आया है कि ये लोग संसद परिसर में सात स्मोक कैन लेकर घुसे थे। इन्होंने परिसर में उत्पात मचाने से पहले इंटरनेट से कई चीजें सीखी थीं।

बातचीत के लिए यह सिग्नल ऐप का प्रयोग करते थे। ललित झा पर पुलिस को संदेह है कि उसने लोगों का ब्रेनवॉश किया। पुलिस ने कोर्ट को जानकारी दी कि इस कृत्य के जरिए ललित झा अपने सह.आरोपियों के साथ देश में अराजकता पैदा करना चाहता था। इन सभी का केवल एक ही मकसद था कि ये कैसे भी करके सरकार से अपनी माँगें पूरी करवा सकें।

पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस ने बताया कि ललित झा ने पूछताछ में बताया कि वो लोग देश में अराजकता पैदा करना चाहते थे ताकि वे सरकार को अपनी माँगें पूरी करने के लिए मजबूर कर सकें। उसने बड़ी साजिश के तहत सबूतों को छिपाने और नष्ट करने के लिए ;अन्य आरोपितों के फोन ले लिए। उसने खुलासा किया कि उसने अपना फोन जयपुर से दिल्ली जाते समय रास्ते में फेंक दिया था।

पुलिस ने अदालत को बताया हमें आरोपितों को एक.दूसरे से सामना कराने मोबाइल फोन का पता लगाने, उस होटल का पता लगाने जहाँ वह चार दिनों तक रुके थे, और हमले के पीछे के वित्तीय लेनदेन और फंडिंग को जानने के लिए उसकी जरूरत है।

बता दें कि कोर्ट में पेशी के बाद बृहस्पतिवार 14 दिसंबर को ललित झा को 7 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में दावा किया कि ललित झा ने मान लिया है कि उसने आरोपितों से संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने की साजिश रचने के दौरान कई बार मुलाकात की। आगे की जानकारी के लिए उसे राजस्थान ले जाने का प्लान है जहाँ उसने फोन को जलाया था।
पुलिस का कहना है कि इस मामले में सबसे बड़ी जो चुनौती आई है वो यही है कि ललित झा ने फोन को जला दिया है। अगर फोन हाथ लगते तो इनकी साजिशों का और भी खुलासा हो सकता था।

आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद उनसे पूछताछ के अलावा दिल्ली पुलिस हर एंगल से मामले की जाँच में जुटी है। सूत्रों से यह भी पता चला है कि दिल्ली पुलिस संसद से अनुमति माँग सकती है ताकि दिसंबर 13 वाली घटना को एक बार रीक्रिएट करके समझा जा सके। इसके अलावा वो आरोपितों के बैकग्राउंड पर भी पड़ताल कर रहे हैं जिससे साफ हो सके कि इनका संबंध किसी आतंकी संगठन आदि से तो नहीं था।

पुलिस इस केस में विदेशी फंडिंग के एंगल को भी तलाश रही है कि कैसे संसद में घुसपैठ के लिए हर प्लानिंग सटीक ढंग से की गई। उस मोची की भी तलाश है जिसने इन लोगों को वो जूते बनाकर दिए। पुलिस कैलाश और महेश कुमावत को भी अरेस्ट कर सकती है जिनका इस केस में ललित झा की गिरफ्तारी के बाद नाम आया।

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