
देहरादून l सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि वक्फ एक्ट को पूरी तरह से समाप्त करना देश की एकता और अखंडता के लिए आवश्यक है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो भारत में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो जाएगी। भारत को पाकिस्तान और बांग्लादेश बनने में देर नहीं लगेगी। वह बोले कि अगर मुस्लिम वक्फ बोर्ड कायम रहता है तो इसी तर्ज पर हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध बोर्ड की भी स्थापना होनी चाहिए। इन सभी समुदायों के लिए ये प्रावधान लागू हों। हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध कानून, बोर्ड व ट्रिब्यूनल स्थापित हों। कहा कि दुनिया के 50 देशों के क्षेत्रफल से अधिक वक्फ के पास जमीन है।
रविवार को नगर निगम सभागार में सर्वत्र सेवा फाउंडेशन की ओर से एक देश, एक विधान विषय पर आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि 1947 में भारत में वक्फ भूमि 50 हजार एकड़ थी। इस समय यह दस लाख एकड़ हो गई है। इसके लिए कांग्रेस की सरकारें जिम्मेदार हैं। आजादी के बाद ही वक्फ एक्ट समाप्त कर देना चाहिए था। यह मौलिक अधिकार विरोधी है। उनका कहना था कि वक्फ एक्ट अपने आप में गैर इस्लामिक है। यह इस्लाम के संपत्ति, दान संबंधी महान व नैतिक मूल्यों के विपरीत है। इस्लाम में वक्फ भूमि पवित्रता और ईमानदारी से संबंधित होती है। जबकि अब वक्फ बोर्ड धन उगाही और धर्मांतरण का केंद्र बन गया है।
समारोह में विशिष्ट अतिथि नैनीताल हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश लोकपाल सिंह, मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर सिंह रावत, डाॅ. राजेश बहुगुणा, एवं डाॅ. पारुल दीक्षित रहे। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठता अधिवक्ता टीएस बिंद्रा ने की।
समारोह में सर्वत्र सेवा फाउंडेशन के अध्यक्ष अखंड प्रताप सिंह, सचिव विष्णु भट्ट, शुभांग गोयल, डाॅ. गोपाल शर्मा, अधिवक्ता बलदेव पाराशर, शंकर पंत, कुणाल बंसल, मार्तंड समेत सैकड़ों लोग शामिल रहे।
…तो दस साल में कश्मीर, बांग्लादेश जैसा बन जाएगा उत्तराखंड
अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड में डेमोग्राॅफी चेंज यानी जनसंख्या बदलाव का भयंकर खतरा मंडरा रहा है। इसके लिए एक साजिश के तहत घुसपैठ, धर्मांतरण, आबादी असंतुलन, पलायन समेत अन्य कारण जिम्मेदार हैं। सीमांत जिलों में भी हालात खराब हो रहे हैं। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की साजिश अमल में लाई जा रही है। यह काम बहुत तेजी से हो रहा है। पिछले 25 वर्ष की वोटर लिस्ट का अध्ययन कर लें तो सच्चाई सामने आ जाएगी। अगर इस स्थिति को रोकना है तो प्रदेश में सबसे पहले समान शिक्षा प्रणाली लागू करनी होगी। संविधान की 21ए धारा यह कहती है।
अब गोत्रों के महत्व पर भी काम होना चाहिए
अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि जाति का ढांचा दो हजार वर्ष पुराना है। गोत्र सनातन काल से है। अगर हमारे यहां दस हजार जातियां हैं तो मात्र सवा सौ गोत्र हैं। इसलिए अब गोत्रों के महत्व पर काम होना चाहिए। इससे हिंदू समाज में एकता पैदा होगी। जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद का अंत हो। यहां तक कि धर्मांतरित मुस्लिमों में भी गोत्र होते हैं। पहले सिर्फ गोत्र होते थे जातियां नहीं। सभी जातियों में गोत्र होते हैं