करनाल में महापंचायत के बाद मिनी सचिवालय का घेराव करके बैठे किसानों ने रात 10 बजे सचिवालय के गेट के बाहर सड़क पर ही सोने के लिए दरियां बिछा लीं। संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से राकेश टिकैत, बलबीर सिंह राजेवाल, योगेंद्र यादव, गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत तमाम नेता धरने पर जम गए। रात साढ़े 10 बजे किसानों ने यहां डीजे का इंतजाम भी कर लिया। मिनी सचिवालय का घेराव करने के बाद किसानों ने यहां पक्का टेंट लगाने का फैसला किया था मगर रात ज्यादा हो जाने की वजह से टेंट का इंतजाम नहीं हो पाया। किसान नेताओं के अनुसार अब मंगलवार सुबह यहां पक्का टेंट गाड़ा जाएगा।
उधर किसानों के आसपास तैनात पुलिसवालों और पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों ने सड़क से लगते डिवाइडर पर खुद के आराम करने के लिए मैट वगैरह बिछा लिए। करनाल के एसपी गंगाराम पूनिया खुद रात साढ़े 10 बजे यहां पुलिस टुकड़ियों के पास जाकर उनसे सोने के लिए मैट, खाने और पीने के पानी की व्यवस्था का जायजा लेते रहे। रात 11 बजे करनाल रेंज की आईजी ममता सिंह खुद भी मिनी सचिवालय के बाहर पहुंची और सुरक्षा प्रबंधों का जायजा लिया। आईजी ने सभी आईपीएस अफसरों को रेगुलर अंतराल के बाद यहां का दौरा करते रहने के भी निर्देश दिए।
प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस जवानों को करनाल के दो गुरुद्वारों निर्मल कुटिया और डेरा कारसेवा से लंगर पहुंचाया गया। दोनों गुरुद्वारों से लगभग 20 हजार लोगों को लंगर बांटा गया। उधर सरकार ने करनाल जिले में इंटरनेट सेवाओं पर लगाई रोक 24 घंटे के लिए बढ़ा दी। अब करनाल जिले में बुधवार रात 11.59 बजे तक सभी मोबाइल कंपनियों की इंटरनेट और बल्क SMS सेवाएं सस्पेंड रहेगी। हालांकि करनाल की सीमा से लगते पानीपत, कुरुक्षेत्र, जींद और कैथल जिलों में इंटरनेट और बल्क SMS सेवा मंगलवार रात 12 बजे से बहाल कर दी गई।
करनाल शहर में अनाज मंडी से सचिवालय के बीच लगाए गए 8 प्रमुख नाकों में से 5 नाके भी रात साढ़े 10 बजे तक हटा लिए गए। इनके बाद सचिवालय के बाहर, निर्मल कुटिया चौक पर हाईवे के पास और गुरु ब्रह्मानंद चौक के पास सिर्फ 3 नाके बचे हैं। इससे पहले करनाल जिला प्रशासन के साथ तीसरे दौर की वार्ता विफल होते ही संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं का इशारा मिलने के बाद हाईवे पर निकले प्रदर्शनकारी पुलिस औऱ पैरामिलिट्री फोर्स के सभी नाकों को पार कर गए।
मिनी सचिवालय के मुख्य गेट पर पहुंचे किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने एक बार वाटर कैनन का इस्तेमाल किया मगर थोड़ी देर बाद ही उसे बंद कर दिया। प्रदर्शनकारियों के तेवर देखते हुए पुलिस ने हिरासत में लिए गए सभी नेताओं व किसानों को छोड़ दिया। किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता घेराव को सफल बनाना था। मिनी सचिवालय को घेरने के बाद अब सभी लोग यहीं शांति से बैठकर आगे की रणनीति तय करेंगे।