अर्जुन के वृक्षों का अस्तित्व बचाना हुआ मुश्किल, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

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बिजनौर। कालागढ़ क्षेत्र में औषधि वृक्ष अर्जुन के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। कार्बेट टाइगर रिजर्व के वनों में इसके संरक्षण को लेकर सख्त कदम उठाने का दावा अधिकारी कर रहे हैं, पर अभी तक कोई प्रयास नहीं किया जा सका है। लोग इन वृक्षों की छाल को उतार कर बर्बाद करने पर लगे हैं।

कालागढ़ कार्बेट टाइगर रिजर्व के वनों में व कालागढ़-धामपुर मार्ग पर अर्जुन के वृक्ष नजर आते हैं। इन दिनों वृक्षों पर फूल भी आ रहे हैं। यह वृक्ष औषधि गुणों से भरपूर है। पूर्व डीएफओ नरेंद्र सिंह, वाइल्ड लाइफ वेलफेयर फाउंडेशन के प्रवक्ता वीरेंद्र कुमार अग्रवाल, विश्व प्रकृति निधि के चंद्र सिंह नेगी का कहना है कि इस वृक्ष की छाल तेजी से उतारी जा रही है, जिससे अधिकांश स्थानों पर यह वृक्ष सूख रहे हैं या फिर कमजोर हो रहे हैं। इसके अधिक दोहन से इसका अस्तित्व खत्म हो सकता है। जैवविविधता में इस वृक्ष का अपना महत्व है। सड़कों के किनारे लगे इन वृक्षों का भी संरक्षण किया जाना चाहिए।

वनों को संरक्षण देने का प्रावधान
बिजनौर के डीएफओ एम सेम्मारन का कहना है कि वनों के अलावा सामाजिक वानिकी के क्षेत्र में अर्जुन के पौधों को जैवविविधता अधिनियम के तहत संरक्षण दिया जा रहा है। इसके व्यावसायिक प्रयोग पर रोक है। इस पौधे को नुकसान पहुंचाने वाले के खिलाफ कार्रवाई का प्राविधान है। इस पर ध्यान दिया जाएगा। संबधित अधिकारियों को इस वृक्ष के संरक्षण के लिए निर्देशित किया जा रहा है।

छाल उतारने वालों पर होगी कार्रवाई: आरके भट्ट
कालागढ़ के वनक्षेत्राधिकारी आरके भट्ट का कहना है कि वनों में अर्जुन के पेड़ हैं। इनका संरक्षण भी अन्य पौधों के समान ही किया जा रहा है। इस पेड़ पर बाहरी लोगों की निगाह रहती है। यदि कोई इन पेड़ों को नुकसान पहुंचाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि अभी वनों में इसको नष्ट करने के लिए किसी के प्रवेश की सूचना नहीं है। पेड़ सुरक्षित हैं।

यह है अर्जुन के पेडों का महत्व
अर्जुन के पेड़ों का औषधि क्षेत्र में बड़ा ही अधिक महत्व है। इसकी छाल, पत्तियों व फलों का प्रयोग हृदय रोग की दवाइयों में किया जाता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ जीपी भटनागर का कहना है कि यह पेड़ धरती पर अमृत के समान है। इसकी नर्सरी लगाकर लोग अपने घरों के आंगन आदि में उगाकर इसका लाभ ले सकते हैं।

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