बिजनौर। अधिक मुनाफे के चक्कर में लोग जीवनरक्षक दवाओं में घालमेल करने से भी बाज नहीं आते। दवाई से किसी को आराम मिले या मिले किसी को फायदा हो या न हो, लेकिन उन्हें सिर्फ अपने फायदे से मतलब है। जनपद बिजनौर भी ऐसे मामलों से अछूता नहीं है।
अगर पिछले डेढ़ साल के आंकड़ों पर ही गौर करें तो जिले भर के विभिन्न मेडिकल स्टोरों से कई प्रकार की दवाइयों के लगभग 130 दवाइयों के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए। इनमें से करीब 65 से 70 नमूने फेल निकले। ऐसे मामलों में दोष सिद्ध होने पर कई को जेल भेजा गया। कई मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस ही रद्द कर दिए गए तथा कई संचालकों पर अन्य प्रकार से कार्रवाई की गई।
पिछले डेढ़ साल में जनपद में विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ने में काम आने वाली लगभग 130 दवाइयों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जा चुके हैं। इनमें से करीब 50 मानकों पर खरे नहीं उतरे। इस पर 65 से 70 मेडिकल स्टोर संचालकों पर विभिन्न प्रकार से कार्रवाई की गई। जिला औषधि निरीक्षक आशुतोष मिश्रा ने बताया कि किसी भी मेडिकल स्टोर के सस्पेंशन का समय 15 दिन या फिर एक महीना होता है। इस अवधि में पूरी तरह से दवाओं की बिक्री पर रोक लगाई जाती है। रिपोर्ट आने पर ही दोबारा से दवाइयों के बेचने की अनुमति मिलती है। नकली दवाइयां रखने एवं बेचने पर नूरपुर के एक केमिस्ट के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में वाद दायर कराया गया था।
चांदपुर तहसील क्षेत्र के एक गांव में स्थित परचून की दुकान से प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन पकड़े गए थे। यही नहीं नशीली दवाइयां रखने पर पंजाब के दो लोगों सहित तीन को पकड़ा गया था। बिना लाइसेंस के चल रहे चार मेडिकल स्टोर संचालकों पर कार्रवाई की गई। तीन मेडिकल स्टोर से एकत्रित की गई दवाइयां जांच में अधोमानक निकलने पर तीन पर मुकदमे दर्ज कराये गए। इनमें एंटीबायोटिक और एल्बेंडाजोल (पेट के कीड़े मारने की दवा) पूरी तरह से नकली निकली थीं। अभी हाल ही में एल्बेंडाजोल का एक और सैंपल फेल हुआ। इसके खिलाफ भी सीजेएम कोर्ट में वाद दायर कराने की तैयारी चल रही है।
नकली दवाई से न नुकसान और न ही फायदा
डीआई आशुतोष मिश्रा ने बताया कि नकली दवाई में किसी प्रकार का साल्ट नहीं लगा होता है, जो संबंधित बीमारी को दूूर करने में अक्षम होता है। फिर वह केवल खड़िया ही रह जाती है। यदि कोई दवाई नकली है तो वह शरीर के जिस रोग को दूर करने में प्रयोग की जा रही है, तो वह उसमें आराम नहीं पहुंचाती। इसका अन्य प्रकार से कोई नुकसान नहीं होता। नकली दवाई बेचना धोखाधड़ी और छल की श्रेणी में आता है।