नयी दिल्ली । देश के पांच राज्यों में अगले छह माह के दौरान होने वाले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में फिर से सत्ता में वापसी की संभावना है जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को पंजाब में बढ़त मिल सकती है।
एबीपी न्यूज ने अपने शोध सहयोगी सी वोटर के साथ मिलकर ‘चुनावी मूड’ के पहले चरण के किये सर्वेक्षण में यह खुलासा किया है जिसे शुक्रवार को जारी किया गया।
सर्वे में कहा गया है कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के सबसे पसंदीदा उम्मीदवार हैं जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल पंजाब में सबसे अधिक पसंद किये जाने वाले मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस नेता हरीश रावत उत्तराखंड में तथा भाजपा के प्रमोद सावंत गोवा में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों में पहले स्थान पर हैं।
उत्तराखंड में भाजपा 43.1 फीसदी वोट शेयर के साथ आगे चल रही है, यानी उन्हें 44-48 सीटें मिल सकती हैं जबकि कांग्रेस 32.6 फीसदी शेयर के साथ दूसरे और आप 14.6 फीसदी शेयर के साथ तीसरे नंबर पर है।
मणिपुर और गोवा में भी सत्तारूढ़ भाजपा की वापसी की संभावना है। मणिपुर में भाजपा 40.5 फीसदी लोगों की पसंद है और कांग्रेस को 34.5 फीसदी मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है। गोवा में भाजपा को 39.4 फीसदी, आप को 22.2 फीसदी और कांग्रेस को 15.4 फीसदी वोट मिलने की संभावना है।
सर्वेक्षण के मुताबिक उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 40.4 फीसदी वोट हिस्सेदारी के साथ पहली पसंद हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पंजाब में 21.6 प्रतिशत वोट शेयर के साथ पहले नंबर पर हैं जबकि उत्तराखंड में कांग्रेस के महासचिव हरीश रावत 30.6 फीसदी वोट हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे हैं। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत गोवा में 33.2 फीसदी वोट शेयर के साथ पहले स्थान पर हैं।
सबसे अधिक विधानसभा सीटों के साथ, उत्तर प्रदेश हमेशा देश के सबसे बड़ी और बहुप्रतीक्षित चुनावी गतिविधियों में से एक रहा है। हालांकि, पंजाब में कृषि कानूनों के कारण हालिया घटनाक्रम स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा, जो इसके चुनावों पर अधिक ध्यान आकर्षित करेगा।
सी वोटर सर्वेक्षण से पता चला है कि जनता की राय के अनुसार, भाजपा उत्तर प्रदेश में 41.8 फीसदी वोट शेयर (259 से 267 सीटों) के साथ आगे चल रही है, जबकि समाजवादी पार्टी 30.2 प्रतिशत वोट शेयर (109 से 117 सीटों) के साथ दूसरे स्थान पर है। बहुजन समाज पार्टी महज 15.7 फीसदी वोट शेयर (12 से 16 सीटों) के साथ तीसरे स्थान पर है।
पंजाब में, आम आदमी पार्टी 35.1 फसदी वोट शेयर (51 से 57 सीटों) के साथ आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 28.8 प्रतिशत वोट शेयर (38 से 46 सीटों) के साथ दूसरे स्थान पर है। शिरोमणि अकाली दल केवल 21.8 प्रतिशत वोट शेयर (16 से 24 सीटों) के साथ तीसरे स्थान पर है।
पंजाब में हुए सर्वे में यह बात सामने आई है कि प्रदेश के वोटर सत्ताधारी कांग्रेस से नाराज हैं। सर्वे के मुताबिक, अभी अगर चुनाव होते हैं तो कांग्रेस को सिर्फ 46 सीटों पर जीत मिल सकती है। वहीं आम आदमी पार्टी 56 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है।
कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में भारी आंदोलन का असर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ना तय है। माना जा रहा है कि इससे न सिर्फ बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल को बल्कि सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इन आंदोलनों का अगर किसी को फायदा होता दिख रहा है तो वह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी है। पिछले चुनाव में भी आप ने प्रदेश में प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई थी।
शुक्रवार को एबीपी न्यूज के पंजाब में कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि अगर आज चुनाव होते हैं तो इससे कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। सर्वे के मुताबिक, पार्टी को 31 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। 77 सीटें पाने वाली कांग्रेस सिर्फ 46 सीटों पर सिमट सकती है। वहीं, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी 34 सीटों के फायदे के साथ 54 सीटें पा सकती है। बीते चुनाव में उसे सिर्फ 20 सीटें मिल सकती हैं। यह आंकड़ा बताता है कि प्रदेश में झाड़ू की लोकप्रियता किस कदर बढ़ रही है।
भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल की बात करें तो बीते विधानसभा चुनाव में दोनों ने एक साथ चुनाव लड़ा था। उन्हें सिर्फ 18 सीटें मिली थीं और वह आप से भी एक स्थान नीचे रहे। इस बार दोनों पार्टियों में कृषि कानूनों को लेकर मतभेद हुए। अकाली दल की केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया और बाद में अकाली गठबंधन से भी अलग हो गई। सी-वोटर के सर्वे के मुताबिक, कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन से अकाली दल को नुकसान होता नहीं दिख रहा है लेकिन फायदा भी होने की संभावना नहीं है।