राजस्थान के जिला टोंक में एक स्थान है हाथी भाटा। चौंकिएगा मत यह हाथी एक ही चटटान को काट कर निखार कर बनाया गया है।
कोई टुकड़ा यहां वहां जोड़ा नहीं गया है। इसकी प्राचीनता के विषय में विवाद है लेकिन समकालीन कला के जानकार इसे न्यूनतम 1500-2000 वर्ष पुराना बताते हैं, क्योंकि इस पर हिन्दू प्रभाव (घंटी का श्रृंगार ) स्पष्टतः देखने को मिल रहा है।
इससे भी बढ़कर बात यह है कि इस हाथी के आस-पास एक लाख वर्ष पहले भी मानव बस्ती थी और उस दौर के लोगों ने वहां चट्टानों में खोद खोद कर (Engraving) चित्र बनाए हुए हैं बिना किसी रंग और ब्रश के ….. फ़िर जब मनुष्य आग से भी परिचित नहीं था तब के पत्थरों के औजार भी मौजूद है। फ़िर 5000 वर्ष पुरानी समाधियां, आटा-मसाले आदि पीसने की चाक-घट्टी भी यहां हैं। 5000 हजार से 15000 वर्ष पहले के रंग वाले चित्र भी देखे जा सकते हैं।
एक ही स्थान पर अलग-अलग कालखंड में मानव बस्तियों की उपस्थिति एक बहुत बड़ा प्रमाण है 2000 वर्ष पुराने इतिहास को समझने के लिए। खासकर उन ज़ाहिलों के लिए जो दुनिया की शुरुआत 1500-2000 साल पहले से ही जबरन मानना चाहते हैं।
एक ही पत्थर पर बना यह हाथी इस का भी साक्षी है कि भारतीय पुरखे कितने समृद्ध कारीगर थे कि जब यूरोप, अरब, अफ्रीका में लोग ढंग से झौंपड़ी बनाना नहीं जानते थे तब उनके पास इतनी विकसित इंजिनियरिंग का ज्ञान था।