हिन्दू धर्म में कलावा या रक्षा सूत्र का बहुत ही महत्व है, लेकिन यह केवल धार्मिक लिहाज से ही नहीं स्वास्थ्य के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य के अनुसार रक्षा सूत्र बांधने से कई बीमारियां दूर होती है । जिसमें कफ, पित्त आदि शामिल है। शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है।
अतः यहां रक्षा सूत्र बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है ऐसी| कलाई पर इसको बांधने से जीवन में आने वाले संकट से यह आपकी रक्षा करता है। वेदों में भी इसके बारे में बताया गया है कि जब वृत्रासुर से युद्ध के लिए इंद्र जा रहे थे तब इंद्राणी ने इंद्र की रक्षा के लिए उनकी दाहिनी भुजा पर रक्षासूत्र बांधा था। जिसके बाद वृत्रासुर को मारकर इंद्र विजयी बने और तभी से यह परंपरा चलने लगी।
रक्षा सूत्र कब और कैसे धारण करें
पुरुषों और अविवाहित कन्याओं के दाएं हाथ में और विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में रक्षा सूत्र बांधी जाती है जिस हाथ में कलावा या मौली बांधें उसकी मुट्ठी बंधी हो एवं दूसरा हाथ सिर पर हो ।
कलावे को हमेशा पांच या सात बार घूमाकर हाथ में बांधना चाहिए कभी भी पुरानी मौली का फेंकना नहीं चाहिए बल्कि इसे किसी पीपल के पेड़ के नीचे डाल देना चाहिए। भी मान्यता है कि इसे बांधने से बीमारी अधिक नहीं बढती है।
ब्लड प्रेशर, हार्ट एटेक, डायबीटिज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिये मौली बांधना हितकर बताया गया है।
मौली यानी रक्षा सूत्र शत प्रतिशत कच्चे धागे, सत, की ही होनी चाहिए।
मौली बांधने की प्रथा तब से चली आ रही है जब दानवीर राजा बलि के लिए वामन भगवान ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था