![aakshiya bijali](https://www.ghamasaana.com/wp-content/uploads/2021/08/aakshiya-bijali-678x381.jpg)
जब भी आकाश में बिजली कड़कती है तो कई लोग डर जाते हैं। उनमें डर होता है कि कही ये आकाशीय बिजली उन पर ना गिर जाए। क्योंकि ऐसा होने से जान और माल दोनों ही जाते हैं। पिछले दिनों खबर आई थी कि बिहार के कई इलाकों में आकाशीय बिजली गिरने से 46 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और 12 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए। ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि मानसून के आते ही या उसके आसपास आकाशीय बिजली की घटनाएं बढ़ जाती हैं।
यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों आकाशीय बिजली धरती पर गिरती है। इससे कैसे बचा जा सकता है? असल में आसमान में जब हवा की तेज गति की वजह से बादल आपस में टकराते हैं तो इससे घर्षण पैदा होता है। बर्फ के ये कण जब आपस में टकराते हैं तो उनमें इलेक्ट्रिकल चार्ज आ जाता है। ऐसे में विपरीत चार्ज वाले कण एक दूसरे से अलग होने लगते हैं और ऐसे में इलेक्ट्रिकल फील्ड तैयार हो जाता है। उस घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह कंडक्टर की तलाश करती रहती है।
आसान शब्दों में कहा जाए तो आसमान में बहुत बड़ा इलेक्ट्रिक स्पार्क होता है। इससे धरती और बादलों के बीच इलेक्ट्रिकल चार्ज बिगड़ जाता है। घर्षण से पैदा हुए बिजली का प्रवाह आसमान की बूंदों में भी काफी नहीं होता है। यह बिजली कंडक्टर (संचालक) के लिए धरती पर पहुंचती है। धरती पर यह बिजली ऐसे माध्यम को तलाशती है जिससे वह गुजर सके। यदि आकाशीय बिजली किसी बिजली के खंभे या लोहे की छड़ के संपर्क में आती है। तो वह उसके लिए कंडक्टर का काम करता है।
यदि उस समय कोई इंसान वहां से गुजर रहा होता है या वहां मौजूद होता है तो वह भी उसकी चपेट में आ जाता है। वैसे भी इंसान को बिजली का सबसे अच्छा कंडक्टर माना जाता है। ऐसे में अक्सर कोई खंभे या छड़ न होने पर इंसान उसकी चपेट में आ जाता है। अगर हम आकाश से गिरने वाली बिजली के चार्ज की बात करे करें तो एक बार की आसमानी बिजली एक अरब वोल्ट तक हो सकती है। वहीं सामान्य रूप से आकाशीय बिजली का तापमान सूर्य के ऊपरी सतह से भी अधिक होता है। इसकी क्षमता 300 किलोवाट यानी 12.5 करोड़ वॉट से अधिक होती है।
यह मिली सेकंड से भी कम वक्त के लिए ठहरती है। दोपहर में इसके गिरने की अधिक आशंका होती है। यदि यह बिजली किसी इंसान पर गिरती है तो यह इंसान के सिर, कंधे और गले पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। इससे किसी के भी दिल की धड़कन रूक सकती है या अंदरूनी अंग जल सकते हैं। जिन लोगों पर बिजली गिरती है उनके शरीर पर ‘लाइटनिंग ट्री’ या ‘लाइटनिंग फ्लावर’ नामक आकृति बन जाती है। जो यह खून ले जाने वाली छोटी-छोटी वाहिनियों के फूटने से बनती है।
इससे बचने के तरीके
बादल गरजने के समय घर के अंदर ही रहना चाहिए। साथ ही बिजली पैदा करने वाली चीजें मसलन मोबाइल, रेडिएटर, इनवर्टर जैसी चीजों से दूरी बनाकर रखना चाहिए। पेड़ के नीचे या खुले मैदान में बिलकुल नहीं जाना चाहिए। यदि आप खुले मैदान में हैं तो किसी मकान के पास चले जाएं। अगर पानी में हों तो किनारे पर पहुंच जाएं। बिजली गिरने पर किसी बड़ी इमारत या कार में शरण लें।