बिजनौर/नगीना। नगीना गोशाला विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 जुलाई की पिछली तारीख पर मामले की सुनवाई करने के बाद संबंधित पुलिस अधिकारियों और संजय बंसल को कोर्ट के सामने पेश होकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। लेकिन अभी तक मामले की जांच करने वाले जांच अधिकारी को छोड़ कोई भी अपनी बात रखने के लिए कोर्ट के सामने नहीं आया। अधिकारियों के इस रुख पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी व्यक्त की। इस मामले में एसपी बिजनौर से हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं। वहीं एसपी बिजनौर डा.धर्मवीर सिंह का कहना है कि पांच अगस्त तक हमे हलफनामा दाखिल करना है।
न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंड पीठ ने कहा है कि अगर अगली तारीख तक एसपी हलफनामे के जरिए अपनी बात नहीं रखते हैं तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपनी बात रखनी पड़ेगी। कोर्ट ने गोशाला विवाद में सोशल मीडिया पोस्ट कर सुर्खियों में आए विनीत नारायण और अन्य की गिरफ्तारी पर रोक आगे बढ़ा दी है। इस मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त को है। जांच अधिकारी ने अपने हलफनामे में लिखा है कि शिकायतकर्ता संजय बंसल से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वे नगीना में उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए अभी तक उनका बयान नहीं लिखा जा सका है। उधर इस मामले में एसपी बिजनौर डा.धर्मवीर सिंह का कहना है कि इस मामले में हाईकोर्ट में हमे पांच अगस्त तक हलफनामा दाखिल करना है, जो निर्धारित समय तक कर दिया जाएगा।
यह था पूरा प्रकरण
नगीना कस्बे में स्थित एक गोशाला से यह मामला जुड़ा हुआ है। एक महिला अलका लाहौटी के बयान के आधार पर एक पत्रकार विनीत नारायण ने 17 जून को सोशल मीडिया पर यह आरोप लगाया था कि विहिप (विश्व हिंदू परिषद) नेता चंपत राय के भाइयों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए गोशाला की भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया था। विहिप नेता के भाई संजय बंसल ने इन आरोपों से पूरी तरह इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि गोशाला की भूमि से उनका या उनके परिवार का कोई लेना-देना नहीं है। इसके विरोध में उन्होंने 19 जून को नगीना थाने में एक प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने पत्रकार विनीत नारायण, रजनीश कपूर और अलका लाहौटी को आरोपी बनाया था। लेकिन पत्रकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली जिसके बाद कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।