लखनऊ । उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव का बिगुल बजने वाला है। इस बारे में चुनाव आयोग ने अहम फैसला लिया है। निकाय चुनाव जनवरी में कराए जाएंगे। इससे न केवल तैयारियों के लिए चुनाव आयोग बल्कि प्रचार के लिए राजनीतिक दलों को भी पर्याप्त समय मिल जाएगा।
बता दें कि प्रदेश में 545 नगर पंचायतें, 200 नगर पालिका परिषद और 17 नगर निगम सहित 762 नगरीय निकायों में चुनाव होना है। निकाय चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को लखनऊ सहित 48 जिलों के नगरीय निकायों में वार्ड आरक्षण का प्रस्ताव जारी भी जारी कर दिया गया है। सूत्रों की माने तो 10 जनवरी तक सभी नगरीय निकायों में वार्ड, चेयरमैन और महापौर के आरक्षण का निर्धारण हो जाएगा।
नियमानुसार आम निकाय चुनाव के बाद निकाय की पहली बैठक होने की तिथि से पांच वर्ष बाद नए निकाय का गठन होना आवश्यक है। आयोग के विशेष कार्याधिकारी एस. के. सिंह ने बताया कि 2017 के निकाय चुनाव के बाद कुछ निकायों में पहली बैठक 15 जनवरी 2018 को हुई थी। लिहाजा आयोग को 15 जनवरी तक निकाय चुनाव संपन्न कराने हैं। सूत्रों के मुताबिक दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक आरक्षण निर्धारित होने के साथ ही आयोग चुनाव की तारीखों का एलान करेगा। जनवरी के पहले और दूसरे सप्ताह तक चुनाव कराकर परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।
जनवरी के पहले और दूसरे सप्ताह तक निकाय चुनाव कराने से सत्तारूढ़ दल भाजपा के साथ समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा, सुभासपा, रालोद, अपना दल एस सहित अन्य दलों को भी प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव प्रचार के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। गुजरात चुनाव और मैनपुरी रामपुर और खतौली उप चुनाव में उलझे राजनीतिक दल भी उप चुनाव परिणाम के बाद ही निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा चाहते हैं।

