नई दिल्ली। महज 10 साल के एक बच्चे से अपने माता-पिता की मजबूरी नहीं देखी गई। दो साल बड़ी बहन जानलेवा बीमारी से पीड़ित है और परिवार पाई-पाई को मोहताज। पिता घरों में पेंटिंग करके मुश्किल से इतना जुटा लेते हैं कि किसी तरह से दोनों वक्त की रोटी मिल पाती है।
इस कमाई में ब्रेन कैंसर के इलाज का खर्चा कहां से जुटाया जा सकता है। लाचार मां ने पक्षियों का दाना बेचना शुरू किया। कुछ पैसे आने लगे, जिससे थोड़ा-बहुत काम निकलने लगा। तब बच्चे ने फैसला किया कि वह भी मां के साथ पक्षियों का दाना बेचने जाएगा।
बड़ी बात ये है कि उसने यह सब पढ़ाई की कीमत पर शुरू नहीं किया। वह अपना काम करने के बाद पढ़ाई का भी वक्त निकाल लेता है।
दो साल पहले पता चला था कि 12 साल की सकीना को ब्रेन कैंसर है। सकीना की मां बिलकिस बेगम ने अपना दर्द साझा करते हुए बताया है कि ‘जब डॉक्टरों ने उसके स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में बताया तो हमलोग घबरा गए थे। डॉक्टरों ने सकीना को बचाने के लिए रेडियोथेरेपी करवाने की सलाही दी थी।’
उन्होंने कहा कि ‘दो साल पहले जबसे सकीना की जांच में ब्रेन कैंसर का पता चला, तब से पूरा परिवार उसके इलाज के लिए मुश्किलों की दौर से गुजर रहा है।’ परिवार को तेलंगाना सरकार से भी मदद मिली है, लेकिन वह रकम कम पड़ चुकी है।
बिलकिस ने कहा है, ‘हमें तेलंगाना सरकार से फंड मिले थे और पूरा का पूरा रकम उसकी रेडियोथेरेपी पर ही खर्च हो गया और इलाज को लेकर हम पैसों की उसी किल्लत की स्थिति में आ चुके हैं…’