
मेरठ। सावन का महीना भोलेनाथ की आराधना का होता है। कोई सावन के सोमवार का व्रत रखकर भोले का आर्शीवाद लेता है तो कोई कांवड़ लाकर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने की कोशिश करता है। वहीं कुछ लोग मन्नत पूरी करने के लिए कांवड़ लाते हैं तो कुछ लोग मन्नत पूरी हो जाने के बाद कांवड़ लाते हैं।
इन दिनों पूरे देश में शिव आराधना को महोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश तक के शिवभक्त हरिद्वार से जल लेकर अपनी अभीष्ट शिवायलयों की तरफ बढ़ रहे हैं। हरिद्वार से लेकर मुजफ्फरनगर, मेरठ और दिल्ली तक सारी गतिविधियां रूक जाती हैं। सड़कों पर वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। हाईवे, एक्सप्रेस वे तक बंद कर दिए जाते हैं। इन पर केवल शिवभक्त ही चलते हैं।
कोरोना के कारण दो साल तक बंद रहने के बाद इस बार जब कांवड़ यात्रा शुरू हुई तो सड़कों पर शिवभक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। माना जा रहा इस बार करीब 20 लाख से भी अधिक शिवभक्त हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने गंतव्य को जा रहे हैं।
इस दौरान सड़कों पर विभिन्न प्रकार की कांवड़ जिन्हें आकर्षक ढंग से सजाया गया है। डीजे लगाए गए हैं। कोई श्रवण कुमार बन कर अपने वृद्ध माता पिता को कंधों पर उठाकर ले जा रहा है।
इन सबके बीच जिस कांवड़ की सबसे अधिक चर्चा हो रही है वह है मेरठ के मोनू की । मोनू और उसकी डीजे की टीम हरिद्वार से गंगाजल लेकर आ रही है। उनकी कांवड़ का सेटअप करीब तीन से चार करोड़ के बीच का बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर यह कांवड़ खूब वायरल हो रही है। मेरठ के काली पलटन मंदिर में शिवरात्रि पर कांवड़िए जलाभिषेक करेंगे।