लखनऊ। नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रद्द कर दिया है। जिससे सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने कहा कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो तब तक ओबीसी रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता। इसलिए राज्य सरकार ओबीसी रिजर्वेशन के बिना चुनाव कराए। वहीं इस फैसले के बाद उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह ओबीसी के अधिकारों पर हमला है। उन्होंने कहा कि इस पर विचार किया जा रहा है और सरकार सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती है। इन सबके बीच निकाय चुनाव टलने के प्रबल आसार बन गए हैं।
ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने करीब 20 दिनों तक चली सुनवाई के बाद ये फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि ओबीसी आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट कराया जाए। जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो तब तक अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के बगैर ही चुनाव कराए जाएं।
याचिकाकर्ता संदीप पांडेय ने कहा है कि तत्काल चुनाव अत्यंत आवश्यक हैं तो ओबीसी आरक्षण के बगैर ही चुनाव कराए जाएं। ऐसे में गेंद अब सरकार के पाले में है कि वो या तो ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव कराए। या फिर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग गठित किया जाए। उसकी सिफारिशों के आधार पर आरक्षण दिया जाए औऱ फिर चुनाव कराया जाए।
कोर्ट ने 24 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज सिर्फ जज ने अपना फैसला पढ़ा। ऐसे में अगर सरकार ओबीसी आरक्षण के बगैर ही निर्णय़ लेती है तो एससी.एसटी और सामान्य सीटों के आरक्षण के साथ चुनाव जनवरी में कराए जाएं।
अगर सरकार ट्रिपल टेस्ट कराती है और आयोग गठित करती है तो 31 जनवरी तक ये प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
ऐसे में आयोग की अनुशंसा के साथ हर जिले में जिलाधिकारी आरक्षण को लेकर अपनी सिफारिशें भेजेगा। ट्रिपल टेस्ट के तहत सरकार को एक डेडिकेटेड कमीशन बनाना होगा। फिर ये कमीशन ओबीसी की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट देगा। इस रिपोर्ट की सिफारिशें के अनुसार ही हर जिले में नगर निगम, नगरपालिका औऱ नगर पंचायतों का आरक्षण तय होगा।

