मुजफ्फरनगर- बागोवाली में 66 परिवारों को मिला घर, 2013 के दंगों में हुए थे बेघर

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मुजफ्फरनगर। गांव बागोवाली में वर्ष 2013 के 66 दंगा पीड़ित परिवारों को अपना घर मिल गया है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने मकानों की चाबियां उनके सुपुर्द की।

मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने कहा की हमारे पूर्वजों ने इस देश की खातिर बड़ी क़ुर्बानियां दी हैं, जिसको इतिहास कभी भुला नहीं सकता। उन्होंने कहा कि आजादी के लिए उलमा-ए-इकराम ने तो लगातार क़ुर्बानियां दी है, जिसकी मिसाल नहीं मिलती।

अंग्रेजों ने उलमा-ए-इकराम को फांसी पर भी चढ़ाए। दारुल उलूम देवबंद की स्थापना भी अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता के सपूत पैदा करने के लिए की गई थी। जमीयत उलमा-ए-हिंद का धर्मनिरपेक्ष संविधान को बनवाने में विशेष योगदान रहा हैं।

उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में नफरत की आवाज मुंह उठा रही है, जो कि देश की खुशहाली व उन्नति के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में दंगों की एक लिस्ट बड़ी है, जिसमें हजारों बेगुनाहों की जानें चली गईं। दंगे की किसी एक घटना में भी क़ानून और न्याय की आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया गया।

वर्ष 2013 के दंगे में यहां भी हजारों लोग बेघर हो गए, जिन्होंने अपने घरों को खौफ से छोड़ दिया था। जमीयत उलमा हिंद ने दंगा पीड़ितों को जिलेभर बसाने को उनको 466 मकान दिए। देश में प्राकृतिक आपदाओं की रूप में जब भी कोई मुसीबत आती है। जमीयत उलमा-ए-हिंद देश की जनता के साथ खड़ी नजर आती है। वैसे तो यह एक धार्मिक संगठन है. लेकिन सहायता और राहत पहुंचाने का हर काम वह धर्म से ऊपर उठकर मानवता के आधार पर करती है।

एकता एवं सहिष्णुता इसका मिशन है और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा इसका हमेशा से पहला उद्देश्य रहा है। प्रोग्राम का संचालन मौलाना मुस्तफा कासमी ने किया। इस मौके पर मौलाना हामिद हसन, नर्ज मोहम्मद, मौलाना कासिम, मौलाना मुकर्रम अली कासमी, हाफिज शेरदीन, आसिफ़ कुरैशी बुढ़ाना के अलावा समस्त मकानों की चाबी पाने वाले विस्थापित मौजूद रहे।

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