बिहार में 64 लाख वोटरों का नाम कटना तय, पूर देश में होगा एसआईआर

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नई दिल्ली | देश में पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए चुनाव आयोग (Election Commission) ने घोषणा की है कि अगस्त 2025 से पूरे भारत में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह कार्य नई वोटर लिस्ट तैयार करने के लिए किया जा रहा है। इस दौरान मतदाताओं की मौजूदा जानकारी को अपडेट किया जाएगा और नए पात्र मतदाताओं को सूची में जोड़ा जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक, SIR की तिथि का औपचारिक ऐलान 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के बाद किया जाएगा। फिलहाल बिहार में इस प्रक्रिया की शुरुआत पहले से हो चुकी है, जहां अब तक 7.23 करोड़ यानी 99.86% मतदाताओं का सत्यापन पूरा किया जा चुका है।

64 लाख वोटरों का नाम हटना तय

चुनाव आयोग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, बिहार की पुरानी वोटर लिस्ट में शामिल 7.89 करोड़ वोटरों में से लगभग 64 लाख वोटरों के नाम हटाए जा सकते हैं। इसमें वे सभी लोग शामिल हैं जिनका एनुमरेशन फॉर्म वापस नहीं आया है या जिनमें अनियमितताएं पाई गई हैं।

इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति का नाम फर्जी या अवैध घुसपैठ के रूप में पाया गया, तो उसे भी डिलीटेड वोटर लिस्ट में डाला जाएगा। इस कवायद का उद्देश्य, मतदाता सूची को शुद्ध और अद्यतन बनाना है।

1 सितंबर तक भर सकते हैं एनुमरेशन फॉर्म

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने जानकारी दी है कि यदि कोई जेन्युन वोटर छूट भी गया है, तो वह 1 सितंबर 2025 तक अपना एनुमरेशन फॉर्म भरकर जरूरी दस्तावेजों के साथ जमा कर सकता है। उनके नाम को वोटर लिस्ट में शामिल किया जाएगा।

चुनाव आयोग ने किसी राजनीतिक दल का नाम लिए बिना यह भी कहा कि —“क्या एक पारदर्शी और निष्पक्ष मतदाता सूची तैयार करना एक मजबूत लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की नींव नहीं है? इस सवाल पर हमें राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर सोचने की आवश्यकता है।”

क्यों जरूरी है स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन?

  • फर्जी वोटरों को हटाना
  • अप्रवासी या मृत मतदाताओं का नाम हटाना
  • नए पात्र युवाओं को जोड़ना
  • वोटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाना
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