अब उत्तराखंड में वृद्धजनों की अनदेखी पर होगी कार्रवाई

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देहरादून। समाज कल्याण विभाग की वृद्धजन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रदेश के वृद्धजनों को समय और आसानी से उपलब्ध कराए जाने के संबंध में जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं।

दुर्गम क्षेत्रों में अकेले व असहाय वृद्धों के सामने आ रही दिक्कतों के मद्देनजर संयुक्त नागरिक संगठन के कार्यकारी उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र भट्ट तथा महासचिव सुशील त्यागी कुछ दिन पूर्व मुख्य सचिव आनंदवर्धन से मिले थे और सुझाव पत्र दिया था। जिसमें उत्तराखंड माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण नियमावली 2011 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने की मांग की थी।

इस पर समाज कल्याण विभाग के सचिव की ओर से सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि शासन स्तर पर नियमावली के प्रावधान के तहत की गई कार्यवाहियों की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी। पत्र में कहा गया है कि राज्य के 69 उपखंडों (परगना) में भरण पोषण अधिकरण का गठन किया जा चुका है जिसके अध्यक्ष उप जिलाधिकारी हैं, जो उन मामलों में त्वरित एवं सरल प्रक्रिया के माध्यम से न्याय प्रदान करते हैं जहां संतान अथवा उत्तराधिकारी अपनी माता-पिता या बुजुर्गों का वर्णन पोषण करने में असफल रहते हैं। ऐसी परिस्थितियों में वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा एवं परित्याग को एक संगीन अपराध घोषित करते हुए 5000 रुपये का जुर्माना या तीन माह की सजा या दोनों हो सकते हैं।

जारी निर्देशों के अनुसार राज्य के समस्त समाज कल्याण अधिकारियों को भरण पोषण अधिकारी भी पदभिहित किया गया है। नियमावली के प्रावधान के अंतर्गत सभी पुलिस थानों में उनके क्षेत्राधिकार में निवास कर रहे वरिष्ठ नागरिकों की सूची रखी जाएगी और संबंधित थाने का प्रतिनिधि हर माह में एक बार इन वृद्धजनों के घर जाएगा तथा उनको संबंधित सहायता भी उपलब्ध कराएगा।

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