नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति से कहा कि वह अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है लेकिन अपने बच्चों को तलाक नहीं दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक मांगने पहुंचे व्यक्ति को छह सप्ताह के भीतर बच्चों की देखभाल के लिए चार करोड़ देने को कहा है।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले अधिकार का इस्तेमाल किया और दंपति को आपसी रजामंदी के आधार पर तलाक का आदेश पारित किया। पति-पत्नी 2019 से अलग रह रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि समझौते के तहत जो शर्तें तय हुई हैं, वही लागू होंगी। पति की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट को कहा कि कोरोना के कारण बिजनेस को नुकसान हुआ है और बच्चों की परवरिश की रकम तुरंत नहीं दी जा सकती है। वकील ने कोर्ट से कुछ और समय मांगा।
इस पर कोर्ट ने कहा कि पति ने खुद कहा था जिस दिन तलाक को मंजूरी मिलेगी उस दिन वह चार करोड़ रुपये का भुगतान बच्चों की देखभाल के लिए जमा करेंगे। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में आर्थिक स्थिति का हवाला देकर अब दलील नहीं टिकती।
बेंच ने अपने आदेश में कहा, “आप अपनी पत्नी को तलाक दे सकते हैं लेकिन बच्चों को तलाक नहीं दे सकते क्योंकि आपने उन्हें जन्म दिया है। आपको उनकी देखभाल करनी होगी। आपको तलाक ले चुकी पत्नी की देखभाल और नाबालिग बच्चों की परवरिश के लिए राशि का भुगतान करना होगा।”