देश में 60 और उत्तराखंड में हैं ब्रह्म कमल की 24 प्रजातियां, पूरी दुनिया में हैं 210 प्रजातियां

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देहरादून। वेदों और धर्म ग्रंथों में सौगंधित पुष्प के नाम से वर्णित ब्रह्म कमल वैज्ञानिक नाम (सासेरिया ओब्लाटा) की एक ही प्रजाति पायी जाती है। ब्रह्म कमल जिस कुल का पौधा है उस कुल में दुनिया में 210 प्रजातियां के पुष्प पाए जाते हैं। भारत में ब्रह्मकमल कुल से जुड़ीं 60 प्रजातियों और उत्तराखंड में 24 प्रजातियों के फूल पाए जाते हैं। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के क्षेत्रीय प्रभारी व वनस्पति विज्ञानी डॉ. एसके सिंह के मुताबिक सासेरिया ओब्लाटा ही वास्तविक ब्रह्मकमल है। जिसकी सिर्फ एक ही प्रजाति पाई जाती है। सूरजमुखी, गेंदा, डहेलिया, कुसुम, भृंगराज उसी कुल के फूल है जिसमें ब्रहमकमल पाया जाता है।

महाभारत-रामायण में है ब्रह्म कमल का उल्लेख

ब्रह्मा कमल का उल्लेख महाभारत व बाल्मीकि रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। ब्रहम कमल को महाभारत के वन पर्व में सौगंधित पुष्प कहा गया है। बाल्मीकि रामायण की अयोध्या कांड में भी उल्लेख है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना में ब्रह्म कमल पुष्प का विशेष महत्व है। इसे भगवान शिव को चढ़ाने के बाद प्रसाद के तौर पर श्रद्धालुओं को दिया जाता है।

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है ब्रह्म कमल

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के क्षेत्रीय प्रभारी व वरिष्ठ वनस्पति विज्ञानी डॉ. एसके सिंह के मुताबिक ब्रह्म कमल उत्तराखंड समेत अन्य हिमालयी राज्यों में 3800 से लेकर 4800 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। उत्तराखंड में ब्रह्मकमल मंदाकि टी, केदारनाथ घाटी, अलकनंदा घाटी, गंगोत्री हिमनद, पिंडारी हिमनद, सहस्रताल, नंदादेवी घाटी, हरकी दून, भागीरथी घाटी, नीलकंठ, बद्रीनाथ धाम, भिलंगना घाटी समेत कई क्षेत्रों में बहुतायत से पाया जाता है।

कई नामों से जाना जाता है ब्रह्म कमल

धार्मिक ग्रंथों में सौगंधित पुष्प नाम से वर्णित ब्रह्म कमल को फैन कॉल, सूरज कॉल समेत कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। हालांकि ब्रह्म कमल के रूप में इसकी पहचान ज्यादा है।

सुगंध बिखेरता है ब्रह्म कमल वनस्पति विज्ञानियों के अनुसार ब्रह्म कमल उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जुलाई से लेकर सितंबर के बीच सिर्फ तीन माह के लिए ही खिलता है। ब्रह्म कमल जिस इलाके में पाया जाता है वहां का वातावरण सुगंध से भर जाता है। ब्रह्मकमल के पौधे की ऊंचाई 70 से 80 सेंटीमीटर के बीच होती है। ब्रह्मकमल मूत्र रोग, वात रोग समेत कई बीमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है।

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