हिंदू धर्म में है संकल्प का बहुत महत्व, जानिए संकल्प का पौराणिक स्वरूप

There is a lot of importance of resolution in Hinduism know the mythological form of resolution
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वैदिक ऋषियों के अनुसार वर्तमान सृष्टि पंच मण्डल क्रम वाली है। चन्द्र मंडल, पृथ्वी मंडल, सूर्य मंडल, परमेष्ठी मंडल और स्वायम्भू मंडल। ये उत्तरोत्तर मण्डल का चक्कर लगा रहे हैं।
जैसी चन्द्र पृथ्वी के, प्रथ्वी सूर्य के , सूर्य परमेष्ठी के, परमेष्ठी स्वायम्भू के।

चन्द्र द्वारा पृथ्वी की एक परिक्रमा > एक मास

पृथ्वी द्वारा सूर्य की एक परिक्रमा > एक वर्ष

सूर्य की परमेष्ठी (आकाश गंगा) की एक परिक्रमा >एक मन्वन्तर

परमेष्ठी (आकाश गंगा) की स्वायम्भू (ब्रह्मलोक ) की एक परिक्रमा >एक कल्प

स्वायम्भू मंडल ही ब्रह्मलोक है । स्वायम्भू का अर्थ स्वयं (भू) प्रकट होने वाला । यही ब्रह्माण्ड का उद्गम स्थल या केंद्र है ।

ऋषियों की अद्भुत खोज

जैसा की हम उपर देख चुके है :-
अभी हम “ब्रह्मा के 51वे वर्ष के 1(पहले) दिन के 7 वे मन्वन्तर के 28 वे महायुग के 4थे युग (कलियुग)” में है ।

संकल्प

हमारे पूर्वजों ने जहां खगोलीय गति के आधार पर काल का मापन किया, वहीं काल की अनंत यात्रा और वर्तमान समय तक उसे जोड़ना तथा समाज में सर्वसामान्य व्यक्ति को इसका ध्यान रहे इस हेतु एक अद्भुत व्यवस्था भी की थी, जिसकी ओर साधारणतया हमारा ध्यान नहीं जाता है। हमारे देश में कोई भी कार्य होता हो चाहे वह भूमिपूजन हो, वास्तुनिर्माण का प्रारंभ हो गृह प्रवेश हो, जन्म, विवाह या कोई भी अन्य मांगलिक कार्य हो, वह करने के पहले कुछ धार्मिक विधि करते हैं। उसमें सबसे पहले संकल्प कराया जाता है। यह संकल्प मंत्र यानी अनंत काल से आज तक की समय की स्थिति बताने वाला मंत्र है। इस दृष्टि से इस मंत्र के अर्थ पर हम ध्यान देंगे तो बात स्पष्ट हो जायेगी।-
संकल्प मंत्र में कहते हैं….

ॐ अस्य श्री विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्राहृणां द्वितीये परार्धे

अर्थात् महाविष्णु द्वारा प्रवर्तित अनंत कालचक्र में वर्तमान ब्रह्मा की आयु का द्वितीय परार्ध वर्तमान ब्रह्मा की आयु के 50 वर्ष पूरे हो गये हैं।
श्वेत वाराह कल्पे कल्प याने ब्रह्मा के 51वें वर्ष का पहला दिन है।

श्री वैवस्वतमन्वंतरे

ब्रह्मा के दिन में 14 मन्वंतर होते हैं उसमें सातवां मन्वंतर वैवस्वत मन्वंतर चल रहा है।
अष्टाविंशतितमे कलियुगे एक मन्वंतर में 71 चतुर्युगी होती हैं, उनमें से 28वीं चतुर्युगी का कलियुग चल रहा है।

कलियुगे कलि प्रथमचरणे

कलियुग का प्रारंभिक समय है।

कलिसंवते या युगाब्दे- कलिसंवत् या युगाब्द वर्तमान में 5104 चल रहा है।
जम्बु द्वीपे, ब्रह्मावर्त देशे, भारत खंडे- देश प्रदेश का नाम
अमुक स्थाने – कार्य का स्थान
अमुक संवत्सरे – संवत्सर का नाम
अमुक अयने – उत्तरायन/दक्षिणायन
अमुक ऋतौ – वसंत आदि छह ऋतु हैं
अमुक मासे – चैत्र आदि 12 मास हैं
अमुक पक्षे – पक्ष का नाम (शुक्ल या कृष्ण पक्ष)
अमुक तिथौ – तिथि का नाम
अमुक वासरे – दिन का नाम
अमुक समये – दिन में कौन सा समय

उपरोक्त में अमुक के स्थान पर क्रमश : नाम बोलने पड़ते है ।

जैसे अमुक स्थाने : में जिस स्थान पर अनुष्ठान किया जा रहा है उसका नाम बोल जाता है ।
उदहारण के लिए दिल्ली स्थाने, ग्रीष्म ऋतौ आदि |

अमुक – व्यक्ति – अपना नाम, फिर पिता का नाम, गोत्र तथा किस उद्देश्य से कौन सा काम कर रहा है, यह बोलकर संकल्प करता है।
इस प्रकार जिस समय संकल्प करता है, सृष्टि आरंभ से उस समय तक का स्मरण सहज व्यवहार में भारतीय जीवन पद्धति में इस व्यवस्था के द्वारा आया है।


यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्रं तस्य करोति किम्l
लोचनाभ्यां विहीनस्य, दर्पणः किं करिष्यतिll

भावार्थ – *जिस प्रकार अन्धे व्यक्ति के लिए दर्पण कुछ नहीं कर सकता उसी प्रकार जिसके पास विवेक नही है, समस्त वेद और शास्त्र मिलकर भी उस व्यक्ति को सन्मार्ग की तरफ ले जाता है।

vineet kaushik
आचार्य विनीत कौशिक
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