देहरादून। प्रदेश में 15 कृषि उत्पादन मंडी समितियों में नामित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को सरकार ने हटा दिया है। पूर्व में सरकार ने इन्हें उत्तराखंड कृषि उत्पाद मंडी विकास एवं विनियमन अधिनियम (एपीएमसी) की व्यवस्था के अनुसार नामित किया था, लेकिन अब प्रदेश में इसकी जगह अक्तूबर 2020 से उत्तराखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (प्रोत्साहन एवं सुविधा) अधिनियम को लागू होने से नए एक्ट के आधार पर नए सिरे से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष नामित किए जाएंगे। जल्द ही नए अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की ताजपोशी कर सकती है।
प्रदेश में वर्तमान में 23 मंडी समितियां है। त्रिवेंद्र सरकार के समय 14 जनवरी 2020 को 15 मंडी समितियों में अध्यक्ष के अलावा किच्छा व हल्द्वानी मंडी समिति में उपाध्यक्ष नामित करने की अधिसूचना जारी की थी। उस समय प्रदेश में एपीएमसी एक्ट लागू था। 22 अक्तूबर 2020 को नया एक्ट लागू किया गया, लेकिन मंडी समितियों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष कुर्सी पर जमे हुए थे। जिससे सरकार ने पूर्व एक्ट के अनुसार नामित अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को नामांकन रद्द करना पड़ा। शासन के आदेश पर राज्य कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंधन निदेशक निधि यादव ने सभी मंडी समितियों को अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का नामांकन रद्द करने के आदेश जारी किए।
इन मंडी समितियों से हटाए अध्यक्ष कृषि उत्पादन मंडी समिति देहरादून से अध्यक्ष राजेश शर्मा, हल्द्वानी से अध्यक्ष मनोज शाह, उपाध्यक्ष रविंद्र रैंकली, काशीपुर से रुपेंद्र सिंह बग्गा, सितारगंज से अमरजीत सिंह, किच्छा से अध्यक्ष कमलेंद्र सेमवाल व उपाध्यक्ष विशाल सिंह फुटेला, बाजपुर से सत्य भूषण सिंगला, ऋषिकेश से विनोद कुकरेती, मंगलौर से डॉ. मधु सिंह, रामनगर से मान सिंह अधिकारी, टनकपुर से रामदत्त जोशी, रुड़की से जोगेंद्र सिंह पुंडीर, चमोली से विनोद नेगी, भगवानपुर मंडी समिति के अध्यक्ष मनोज कपिल को हटाया गया।
नए एक्ट में ये व्यवस्था प्रदेश में लागू उत्तराखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (प्रोत्साहन एवं सुविधा) अधिनियम में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव की नई व्यवस्था की गई है। पहली बार मंडी समितियों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को सरकार की ओर से दो साल के लिए नामित किया जाएगा। इसके बाद चुनाव के माध्यम से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष निर्वाचित होंगे। जिनका कार्यकाल पांच साल के लिए होगा।