उत्तराखंड की मंत्री रेखा आर्य ने दिया हरीश रावत को कड़ा जवाब

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देहरादून। उत्तराखंड की मंत्री रेखा आर्य ने दिया हरीश रावत को कड़ा जवाब दिया है । उन्होंने हरीश रावत से पूछा है कि मंडी पर CCI (भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग) द्वारा लगाए गए 1 करोड़ के जुर्माने के लिए जिम्मेदार कौन है, क्या दाज्यू आप चुकाएंगे ये जुर्माना? दाज्यू कका जो भी हो इतना क्यों बोलते हो इस उम्र में ज्यादा बौराना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।

आपने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वाणिज्यिक लोगों को पोषाहार में ना आने दिया जाए तो हमने कब कहा कि हम इसे वाणिज्य बनाना चाहते हैं, हम तो पोषाहार को केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार लैब टेस्टिंग करवाकर “स्वयं सहायता समूहों” को जोड़ते हुए आंगनवाड़ी केंद्रों तक पहुंचाने जा रहे हैं।
आज आप उत्तराखंडियत की बात करते हैं जो आपकी पूर्व की नौटंकी का जीता जागता उदाहरण है, क्योंकि आपने अपने मुख्यमंत्री काल में मडुवा-झंगोरा को बढ़ावा देने की बात कहकर कहा था कि मैं मडवा- झंगोरा को बढ़ावा देने के लिए शराब (डेनिस) का काम मंडी को दे रहा हूं, और आपकी उस करनी का फल उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड (मंडी) ने भुगता है। जिसमें डेनिस नामक आपके होममेड शराब ब्रांड को फायदा पहुंचाने पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ((Competition Commission Of India) ने उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड मंडी पर एक करोड़ का जुर्माना लगा दिया।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission Of India) ने मंडी से कहा कि आपने एक ब्रांड विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए भारतीय बाजार प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाया है।
दाजू मंडी पर लगा यह जुर्माना आपकी करने का जीता जागता उदाहरण है क्या आप भरोगे यह जुर्माने की राशि?वैसे आप भर भी सकते हो एक करोड़ क्योंकि वो स्टिंग में आपके तत्कालीन सचिव कहते हुए सुनाई दे रहे थे कि 20 करोड़ बड़ी राशि है मुख्यमंत्री से बात हो गयी है ये राशि दिल्ली में लेंगे । क्योंकि आपने मडुवा-झंगोरा के नाम पर बेचारी मंडी को मार दिया, बेचारी मंडी का इसमें क्या दोष?
उसका पाला ही मारखुली_बल्द से पड़ा तो मार तो खानी ही थी।
इसलिए आप के बहकावे में आकर हम लोग गर्भवती महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगे।

दाज्यू आपसे सवाल:-
1- मंडी में सिर्फ डेनिश बनाने के लिए आप ने काश्तकारों से अपने कुशासन काल मे कितना मडुआ-झंगोरा खरीदा।
2- उस कुशासन काल के दौरान कितने किसानों का मडुआ बिका और कितना उन्हें फायदा हुआ।

आपका काम ही है उलझाना और हम आपकी बातों में नहीं उलझेंगे क्योंकि कहीं आपकी नोटंकी भरी यह उत्तराखंडियत प्रेम पूर्व के मडूवा-झंगोरा के प्रेम की तरह मंडी पर पड़ी मार जैसी हमारे पोषाहार योजना पर भारी ना पड़ जाए।
इसलिए मेरा स्वयं सहायता समूहो से भी निवेदन है कि आप ऐसे बयान वीरो से दूर रहे जो अपना चेहरा चमकाने के लिए आप के हिमायती सिर्फ फेसबुक तक सीमित है क्योंकि ये आपके हिमायती नहीं कुर्सी के लिए रो रहे हैं जो इन्हें जनता देने वाली नहीं है।

दाज्यू कका जो भी हो अब बुढ़ापा आ गया है वह गाजियाबाद के फ्लैटों पर भी मैंने आपसे जवाब देने का आग्रह किया था परन्तु आपने आज तक जवाब नहीं दिया।

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