
नई दिल्ली l देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर शाम अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस फैसले ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। हालांकि, उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए त्यागपत्र दिया है, लेकिन विपक्ष इसे लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है।
धनखड़ ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेजा, जिसमें उन्होंने लिखा, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूँ।”धनखड़ ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिपरिषद और राष्ट्रपति को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया।
सोमवार को उपराष्ट्रपति के रूप में धनखड़ ने सामान्य दिनचर्या निभाई। उन्होंने राज्यसभा के दिवंगत पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि दी, नए सदस्यों को शपथ दिलाई और विपक्ष द्वारा पेश किए गए 18 स्थगन प्रस्तावों को खारिज किया। इनमें पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर, और बिहार मतदाता सूची की समीक्षा से संबंधित प्रस्ताव शामिल थे। इसके बाद विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई। दोपहर बाद राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी पेश किया गया। जगदीप धनखड़ ने इस प्रस्ताव को संज्ञान में लिया और राज्यसभा के महासचिव को जरूरी कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
जस्टिस वर्मा पर आरोप है कि उनके आधिकारिक निवास से भारी मात्रा में नकदी मिली थी। मार्च में उनके स्टोर रूम में आग लगी थी, जिसमें कथित रूप से कैश जलकर नष्ट हो गया था। उस वक्त वे दिल्ली हाईकोर्ट में जज थे, और अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यरत हैं। महाभियोग प्रस्ताव लोकसभा में भी पेश किया गया है।
प्लान के अनुसार, मंगलवार को धनखड़ को जयपुर दौरे पर जाना था, जहाँ वे क्रेडाई राजस्थान के नव-निर्वाचित सदस्यों से मुलाकात करने वाले थे। प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने इस दौरे की जानकारी भी जारी की थी। लेकिन सोमवार शाम सबको चौंकाते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर दावा किया कि शाम 5 बजे तक वे धनखड़ के साथ थे और 7:30 बजे उनकी फोन पर बातचीत भी हुई थी। उन्होंने लिखा, “धनखड़ जी का इस्तीफा चौंकाने वाला और अप्रत्याशित है।”
धनखड़ ने मार्च 2025 में एम्स दिल्ली में एंजियोप्लास्टी करवाई थी और कुछ दिन अस्पताल में भर्ती भी रहे थे। लेकिन 10 जुलाई को एक भाषण में उन्होंने कहा था, “मैं अगस्त 2027 में रिटायर होऊंगा, अगर भगवान की कृपा रही। इस बयान के विपरीत उनका अचानक इस्तीफा कई सवालों को जन्म दे रहा है। हालाँकि उनके पत्र में केवल स्वास्थ्य कारणों का ज़िक्र है, पर विपक्षी दल इसे राजनीतिक दबाव या भीतरी घटनाक्रम से भी जोड़ रहे हैं।