लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार दुष्कर्म पीड़िता का बयान दर्ज होने के बाद पुलिस विवेचक द्वारा आरोपी की मिलीभगत से बिना आडियो वीडियो रिकार्डिंग के दोबारा बयान लेने को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया है और प्रमुख सचिव गृह व पुलिस महानिदेशक को दो हफ्ते में सभी पुलिस अधीक्षकों को धारा 161(3) की प्रक्रिया का पालन करने की गाइडलाइंस जारी करने का निर्देश दिया है तथा इसे 2 सितंबर को कोर्ट में पेश करने को कहा है।
कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा है कि दो माह में इस आशय का सर्कुलर जारी किया जाए।यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने फूलपुर, प्रयागराज के बुल्ले की जमानत अर्जी पर दिया है।याची का कहना था कि केस की विवेचना ठीक ढंग से नहीं की गई। सह अभियुक्त को दुष्कर्म के आरोप से पीड़िता का दोबारा बयान लेकर पुलिस ने अलग कर दिया, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए।
कोर्ट ने विवेचक को तलब कर सफाई मांगी तो उसने कहा दोबारा बयान लेने पर रोक नहीं है। उसने प्रक्रिया की खामियों पर बिना शर्त माफी मांगी। बयान की आडियो वीडियो रिकार्डिंग नहीं की गयी। यह भी गलती मानी कि बयान उसने लिया है, महिला पुलिस ने नहीं।मामले में कोर्ट ने एसएसपी से कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।
विवेचक को गलत उद्देश्य से विवेचना नहीं करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि निष्पक्ष, पारदर्शी विवेचना कराना आपराधिक न्याय व्यवस्था का जरूरी हिस्सा है। धारा 164 का बयान धारा 161 के दर्ज बयान पर हमेशा प्रभावी होता है। हाईकोर्ट की जिम्मेदारी है कि हर नागरिक के अधिकार सुरक्षित रहें। अपराध की निष्पक्ष पारदर्शी विवेचना की जाए।