लखनऊ। जीवित किशोरी को मृत दर्शाकर ऑनर किलिंग आरोप में निर्दोष पिता-भाई को रिश्तेदार को मुजरिम बनाकर जेल भेजने के मामले में न्यायालय के आदेश पर आदमपुर थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर सहित 11 पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है।
इन पुलिस कर्मियों पर षड्यंत्र रचना, झूठे और गंभीर अपराध के लिए कूटरचित साक्ष्य गढ़ना, किसी को दस दिन से अधिक गलत तरीके से अभिरक्षा में रखने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आरोपी पुलिस कर्मियों में हड़कंप मचा है।
यह प्रकरण आदमपुर थाने से जुड़ा है। क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले किसान की पंद्रह वर्षीय बेटी छह फरवरी 2019 को खेत से अचानक गायब हो गई थी। 10 फरवरी को किशोरी के भाई ने पांच लोगों के खिलाफ अपहरण की एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में पुलिस ने नामजद दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके बाद भी अपहृत किशोरी की बरामदगी नहीं हो सकी थी।
लिहाजा तत्कालीन एसपी डॉ. विपिन ताडा ने मुकदमे की विवेचना तत्कालीन इंस्पेक्टर अशोक कुमार शर्मा को सौंपी। षड्यंत्रकारी इंस्पेक्टर ने अफसरों की वाहवाही लूटने के लिए घटना का फर्जी खुलासा कर डाला। 28 दिसंबर 2019 को किशोरी के किसान पिता, भाई और एक रिश्तेदार को ऑनर किलिंग में जेल भेज दिया। पुलिस ने खुलासे में दावा किया था कि परिवार ने बेटी के गलत संगत में पड़ने और गांव में बेइज्जती के डर से उसकी गोली मारकर हत्या कर दी और बाद में शव गंगा में बहा दिया।
पुलिस की झूठी स्क्रिप्ट में बेटी को दो गोली मारना दर्शाया गया था। जबकि किशोरी के कपड़े जंगल में झाड़ी से और तमंचा घर में संदूक से बरामद दिखाया गया था। पुलिस ने शव बरामद किए बिना ही पिता-भाई और एक रिश्तेदार को मुजरिम बना दिया था। लेकिन, लॉकडाउन के दौरान 7 अगस्त 2020 को किशोरी के जीवित मिलने के बाद षड्यंत्रकारी पुलिस की झूठी स्क्रिप्ट से पर्दा उठ गया था।