मेरठ। जिले के गांव कूड़ी की युवती मीनू ने अंधविश्वास के चलते खासपुर के जंगल में स्थित मंदिर में फांसी लगाकर जान दे दी। देवी मां का खुश करने के लिए उसने गर्दन रेतकर अपना खून माता की मूर्ति पर चढ़ाया और बाद में फंदे पर झूल गई। परिजनों को युवती का शव मंदिर में लटका मिला।
परिजनों ने पुलिस जांच से पहले ही शव का संस्कार कर दिया। चर्चा यह भी है कि मीनू की बलि दी गई है। घटना के दो दिन बाद पुलिस ने बुधवार को जांच शुरू की है। युवती एमए की छात्रा थी। वह हापुड़ के महिला महाविद्यालय में पढ़ रही थी।
ग्रामीणों के अनुसार, गांव के इंद्रजीत का परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा था। उसकी बेटी मीनू (23) माता की भक्ति में लीन रहती थी। उसके दिमाग में यह बात बैठ गई कि माता के समक्ष बलि देगी तो परिवार के दुख दूर हो जाएंगे।
अंधविश्वास के चलते दो दिन पहले दोपहर में वह खासपुर गांव के जंगल में स्थित काली माता के मंदिर में पहुंची। यहां मंदिर के कपाट बंद कर पूजा की। इसके बाद काली माता को खुश करने के लिए अपनी गर्दन रेती गर्दन से निकले खून को मां की मूर्ति पर चढ़ाया और वहां रखे दीपकों में भी खून भर दिया। युवती ने वहां लटके घंटे में रस्सी से फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली।
कुछ ग्रामीणों ने बताया कि युवती मंदिर में पूजा करने गई है। परिजन पहुंचे तो उन्हें मंदिर के कपाट बंद मिले। ग्रामीणों ने दरवाजा तोड़ा तो युवती का शव लटका मिला थाना प्रभारी निरीक्षक संजय शर्मा बुधवार शाम पुलिस टीम के साथ जांच के लिए पहुंचे। मीनू के पिता ने बताया ने कि बेटी कभी भी मंदिर पहुंच जाती थी। रविवार रात उसने सपने में कुछ देखा था और सोमवार को आत्मघाती कदम उठा लिया।