विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने पुलिस टीम को दी क्लीनचिट

Vikas Dubey
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लखनऊ । उत्तर प्रदेश में कानपुर के बिकरु कांड और गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने पुलिस टीम को क्लीनचिट दे दिया है । न्यायिक आयोग के अनुसार इस मुठभेड़ के फर्जी होने के सबूत नहीं मिले हैं।

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस डॉ बीएस चौहान न्यायिक आयोग की अध्यक्षता कर रहे थे, जबकि हाईकोर्ट से रिटायर्ड जस्टिस शशिकांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता न्यायिक आयोग के सदस्य थे।

132 पृष्ठों में दी गई रिपोर्ट के अनुसार जांच में पता चला है कि विकास दुबे और उसके गैंग को कानपुर में स्थानीय पुलिस के साथ ही राजस्व और प्रशासनिक अधिकारियों का संरक्षण हासिल था । विकास दुबे को पहले से ही घर पर पुलिस रेड की जानकारी मिल गई थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी संरक्षण के कारण ही विकास दुबे का नाम सर्किल के टॉप 10 अपराधियों की सूची में नहीं शामिल था, जबकि विकास दुबे पर 64 आपराधिक मुकदमे चल रहे थे।

आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि पुलिस के पक्ष और घटना से संबंधित साक्ष्यों का खंडन करने के लिए जनता मीडिया या विकास दुबे की पत्नी की तरफ से कोई भी आगे नहीं आया ।

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