
बिजनौर। बिजनौर में गंगा किनारे गांवों में जैविक गन्ने से तैयार हुए जैविक गुड़ का सैंपल खाड़ी देशों में पास हो गया है। खाड़ी देशों से जैविक गुड़ की डिमांड आने लगी है। इस साल गंगा किनारे जो जैविक गन्ना बोया गया है इसका गुड़ बनाकर खाड़ी देशों में भेजा जाएगा। किसान जहां भी गुड़ तैयार कराएंगे वहीं से ही वह बिक जाएगा। कृषि कानूनों की वजह से किसानों को यहां फायदा होगा।
गंगा किनारे जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
पहले गंगा किनारे के गांवों में जैविक खेती कराई जा रही थी लेकिन अब इस दायरे को बढ़ाकर पांच किमी कर दिया गया है। गंगा किनारे पांच किमी जो भी खेत होंगे वहां किसानों को जैविक खेती करने को प्रेरित किया जा रहा है। किसानों के जैविक उत्पाद बिकवाने की भी व्यवस्था की जा रही है। पिछले साल जो जैविक गन्ना बोया था किसानों ने उसका कोल्हुओं पर गुड़ बनवाया था। यह गुड़ स्थानीय स्तर पर 60 रुपये और आसपास के जिलों में 100 रुपये प्रति किलो तक बिका था। इस साल भी 1233 हेक्टेयर जमीन में जैविक खेती कराई जा रही है। इसमें 942 हेक्टेयर जमीन में गन्ने की फसल है। हेल्थ मिस्ट ऑयल एंड फूड प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जैविक गन्ने के गुड़ का सैंपल खाड़ी देशों को भेजा गया था। वहां गुड़ को पास कर दिया गया है। गुड़ में कोई भी हानिकारक तत्व नहीं मिला है। इस साल खाड़ी देशों से बड़े पैमाने पर गुड़ का ऑर्डर मिलने का अनुमान है। इससे जैविक खेती करने वाले किसानों को फायदा होगा। जैविक गुड़ विदेशों को चला जाएगा तो बाकी गुड़ के दाम भी चढ़ेंगे।
किसानों को होगा फायदा
कृषि सुधार कानूनों की वजह से जैविक खेती करने वाले किसानों को ज्यादा फायदा होगा। पहले व्यापारी मंडी समिति के अंदर ही फसल खरीद सकते थे लेकिन अब वे बाहर भी फसल खरीद सकते हैं। किसानों का गुड़ भी कोल्हुओं से ही बिक जाएगा। गन्ने के दाम भी ज्यादा मिलेंगे। बिना केमिकल लगाए तैयार किए गए गुड़ का भी खाड़ी देशों से ऑर्डर मिलेगा। वहां से यह गुड़ क्यूब की शक्ल में दस-दस ग्राम के वजन में मांगा गया है।
ये है लाभ का गणित
जैविक विधि से खेत में गन्ने की पैदावार 55 क्विंटल तक होती है। इतने गन्ने से छह क्विंटल गुड़ तक बन जाता है। इसे बनाने में छह हजार रुपये तक की लागत आती है। अगर गुड़ 60 रुपये किलो बिके तो भी किसान को 36 हजार रुपये मिल जाएंगे जबकि लागत के रूप में केवल गुड़ बनाने के ही पैसे लगेंगे। बाकी सारा पैसा बचत का होगा। किसान को गन्ना पर्ची, भुगतान आदि का भी इंतजार नहीं करना होता है।
इन गांवों में हो रही जैविक खेती
गांव सबलगढ़, तैय्यबपुर गौरवा, रफीउलनगर उर्फ रावली, दयालवाला, खलीउल्लापुर, बादशाहपुर, जहानाबाद, टीप, खेड़की हेमराज, कुंदनपुर, मोहिदीनपुर, सैफपुर खादर, तैय्यबपुर काजी, कुंवरचतर भोजपुर, दारानगर, निजामतपुरा, रसूलपुर पित्तनका, सलेमपुर मथना, बसंतपुर, सुजातपुर खादर, दत्तियाना आदि में जैविक खेती हो रही है।
मिला बड़ा बाजार
जिला कृषि अधिकारी डा.अवधेश मिश्र के अनुसार जैविक गुड़ को खाड़ी देशों से हरी झंडी मिल गई है। इस बार जिले से काफी गुड़ विदेश जाने का अनुमान है। खाड़ी देशों के रूप में जिले को बड़ा बाजार मिला है।