कागजों में ही बना दिया पंचायतघर और कर दिया 10 लाख का घोटाला, मौके पर पड़ी मिलीं ईंट

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बिजनौर। अभी तक जिले में प्रशासकों के कार्यकाल की जांच भले ही लंबित चल रही हो, लेकिन इससे पहले ही एक पंचायत में करीब दस लाख का घोटाला सामने आया है। कोतवाली ब्लॉक की ग्राम पंचायत गारबपुर में कागजों में ही दस लाख रुपये खर्च कर पूरा पंचायतघर बनाकर तैयार कर दिया गया। मामले की शिकायत हुई तो जिला विकास अधिकारी ने इसकी जांच की। जिसमें पता चला कि मौके पर केवल पंचायतघर की नींव ही भरी हुई है। जांच अधिकारी ने घोटाला पकड़ा तो इस आरोप में तकनीकी सहायक की संविदा समाप्त करने तथा ग्राम पंचायत अधिकारी को सस्पेंड करने की संस्तुति की गई है। साथ ही थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर दी है।

मामला कोतवाली ब्लॉक की ग्राम पंचायत गारबपुर का है। पंचायत में कृष्ण कुमार सिंह ग्राम पंचायत अधिकारी व चेतराम तकनीकी सहायक हैं। जिला विकास अधिकारी एस कृष्णा पर कोतवाली ब्लॉक के बीडीओ का अतिरिक्त प्रभार है। प्रशासक कार्यकाल के दौरान पंचायत घर का निर्माण हुआ था। पंचायत घर का निर्माण राज्य वित्त आयोग एवं मनरेगा से होना था। शासन से पंचायत घर निर्माण के लिए 11.91 लाख की धनराशि मंजूर हुई थी। जिला विकास अधिकारी/बीडीओ एस कृष्णा के अनुसार ग्रामीणों ने पंचायत घर निर्माण में धांधली की शिकायत डीएम व सीडीओ से की थी।

डीएम ने जांच के निर्देश दिए, तीन अगस्त को बीडीओ टीम के साथ जांच के लिए गारबपुर पहुंचे। बताया कि मौके पर केवल पंचायत घर की नींव भरी मिली है, पंचायत घर का निर्माण नहीं हुआ है। बीडीओ ने बताया कि जांच में यह बात सामने आई है कि पंचायत घर निर्माण के लिए आवंटित धनराशि में से 10.08 लाख रुपये पंचायत के खाते से निकाल लिए गए हैं तथा पंचायतघर का निर्माण पूरा दिखा दिया गया है। इतना ही नहीं निकाली धनराशि के बिल आदि का विवरण शासन की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है।

पंचायत अधिकारी, तकनीकी सहायक दोषी
जांच अधिकारी एवं जिला विकास अधिकारी के अनुसार प्रथम दृष्टया ग्राम पंचायत अधिकारी कृष्ण कुमार सिंह व तकनीकी सहायक चेतराम दोषी प्रतीत होते हैं। संविदा कर्मी तकनीकी सहायक चेतराम सिंह की संविदा समाप्त करने व ग्राम पंचायत अधिकारी कृष्ण कुमार सिंह के निलंबन की संस्तुति सीडीओ केपी सिंह को की गई है। साथ ही दोनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए थाना कोतवाली देहात में तहरीर दी गई है।

150 से ज्यादा पंचायतों की चल रही जांच
जिले में 1123 पंचायत हैं। वर्ष 2015 में निर्वाचित प्रधानों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पंचायतों में प्रशासक नियुक्त किए गए थे। प्रशासकों का कार्यकाल करीब छह माह रहा। इस दौरान पंचायतों में करोड़ों की लागत से खूब काम हुए। ग्रामीणों ने प्रशासकों के कार्यकाल में हुए निर्माण कार्य में हुई धांधली की शिकायत शासन तक की थी। जिस पर कमिश्नर मुरादाबाद मंडल ने रैंडम आधार पर 106 पंचायतों में कराए विकास कार्यों की जांच के निर्देश दिए थे। बाद में 40 ग्राम पंचायतों को शासन से जांच में और शामिल कर लिया गया था। 150 से ज्यादा ग्राम पंचायतों की जांच चल रही है। सीडीओ केपी सिंह के अनुसार जांच रिपोर्ट आ रही है। कोतवाली ब्लॉक की गारबपुर पंचायत में दस लाख से अधिक का घोटाला जांच में सामने आया है। जिला विकास अधिकारी एस कृष्णा ने बताया कि गारबपुर पंचायत जांच की 146 ग्राम पंचायत में शामिल नहीं है। इस पंचायत की शिकायत अलग से हुई थी। माना जा रहा है कि यदि सभी 1123 पंचायतों की जांच हो तो बड़े घोटालों का भंडाफोड़ हो सकता है। घोटाला सामने आने से पंचायत विभाग में हड़कंप हैं।

ग्राम पंचायतों में जहां-जहां भी गड़बड़ी पाई जाएगी, वहां कार्रवाई की जाएगी। दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी। जिन पंचायतों की जांच शुरू कराई गई है, वहां की जांच रिपोर्ट मांगी जा रही हैं – उमेश मिश्रा, डीएम

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