कानपुर। कहां तो शुभम और ऐशन्या ने सात जन्मों तक साथ निभाने की कसम खाई थी, कहां नियति के क्रूर हाथों ने 70 दिन में उन्हें अलग-अलग कर दिया। पहलगाम में हुए हमले में आतंकवादियों ने ऐशन्या के सामने की ही शुभम की गोली मारकर हत्या कर दी। ऐशन्या बस अपने सुहाग को बचाने के लिए उनके हाथ पैर ही जोड़ती रही, लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा।
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक परिवार की खुशियों को चंद पलों में मातम में बदल दिया। कानपुर निवासी 31 वर्षीय शुभम द्विवेदी, जो अपने परिवार संग घूमने गया था, आतंकियों की गोली का शिकार हो गया। शादी के महज़ 70 दिन बाद ही पत्नी ऐशन्या के सामने उसका सुहाग छिन गया।
होटल में सुरक्षा घेरे में परिवार
शुभम के पिता डॉ. संजय द्विवेदी ने बताया कि उन्हें सेना के एक मेजर का फोन आया, जो कुछ देर बाद होटल में पहुंचे। उन्होंने मेजर से बेटे का शव जल्द दिलाने की गुहार लगाई ताकि अंतिम संस्कार कानपुर में किया जा सके। कानपुर के डीएम से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक से बात हो चुकी है और जल्द शव लाने की व्यवस्था की जा रही है।
आंखों के सामने उजड़ गया संसार
नवविवाहिता ऐशन्या ने पति को बचाने की कोशिश में हाथ जोड़े लेकिन दहशत के कारण आवाज़ नहीं निकल सकी। आंखों के सामने पति को गोलियों से छलनी होते देख वह अवाक और सदमे में हैं। दो महीने दस दिन पहले रचाई गई मेंहदी आज भी उनके हाथों पर गहरी है, लेकिन किस्मत ने उनका सुहाग छीन लिया।
कानपुर में पसरा सन्नाटा
श्यामनगर स्थित ड्रीमलैंड अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 201 में सन्नाटा पसरा है। वहीं, उनके चाचा मनोज द्विवेदी के विनायक एन्क्लेव पर रिश्तेदारों और पड़ोसियों की भीड़ जमा है। हर फोन कॉल पर आंखें नम हो जाती हैं और दिल धड़कने लगता है।
कारोबार में पिता का दाहिना हाथ था शुभम
संजय ट्रेडर्स नामक सीमेंट कारोबार में शुभम अपने पिता का साथ दे रहा था। मूलरूप से महाराजपुर के हाथीपुर रघुवीर नगर निवासी परिवार ने 2023 में श्याम नगर में शिफ्ट होकर नया जीवन शुरू किया था।
11 सदस्यों का कश्मीर दौरा
परिवार के कुल 11 सदस्य, जिनमें शुभम, पत्नी ऐशन्या, माता-पिता, बहन आरती, बहनोई शुभम दुबे और अन्य परिजन शामिल थे, 17 अप्रैल को कश्मीर यात्रा पर निकले थे। मंगलवार दोपहर आखिरी बार परिजनों से बातचीत हुई थी, जिसके बाद बुधवार को यह दर्दनाक खबर आई।

