सहारनपुर में वाहन से जाएंगी छड़ियां, निशान और प्रसाद चढ़ाने पर रोक

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सहारनपुर। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर इस बार भी श्री जाहरवीर गोगा महाराज की म्हाड़ी पर मेला नहीं लगेगा। सिर्फ नेजा और 26 छड़ियां वाहनों के जरिये म्हाड़ी पर जाएंगी। श्रद्धालुओं द्वारा निशान और प्रसाद चढ़ाने पर रोक रहेगी। इसको लेकर प्रशासन ने म्हाड़ी का मुख्य द्वार बंद करा दिया है। श्रद्धालुओं को रोकने के लिए पुलिस तैनात की गई है।

गोगा म्हाड़ी पर शुक्ल पक्ष की दशमी पर तीन दिवसीय मेला लगता था, जो बीते वर्ष कोरोना संक्रमण की वजह से नहीं लगा था। इस बार भी पुलिस-प्रशासन ने नेजे के साथ 26 छड़ियों को म्हाड़ी पर ले जाने की अनुमति दी है, लेकिन शोभायात्रा पर रोक लगा दी है। भक्त वाहनों के जरिये ही नेजे और छड़ियों को म्हाड़ी पर लेकर जाएंगे और वहां पूजा अर्चना करेंगे।

बुधवार को भी श्रद्धालु म्हाड़ी पर निशान और प्रसाद चढ़ाने पहुंचे, लेकिन द्वार बंद होने के कारण उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा। जनपद हापुड़ से आई नैंसी अग्रवाल व गौरव गर्ग ने बताया कि कई वर्षों से हर साल म्हाड़ी पर आते हैं। यमुनानगर निवासी रविकांत भी परिवार के साथ आए, लेकिन म्हाड़ी के द्वार पर ताला लगा होने की वजह से लौट गए।

कारोबार को भी लगा झटका
म्हाड़ी के पास प्रसाद, निशान और खिलौने की दुकान लगाने वाले संदीप कुमार ने बताया कि मेला स्थगित होने से इस बार भी कारोबार को नुकसान हुआ है। सत्यपाल ने बताया कि तीन दिवसीय मेले में सहारनपुर, वेस्ट यूपी, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के कई लाख श्रद्धालु आते थे, इससे प्रसाद, झंडे आदि की बिक्री खूब होती थी, लेकिन इस बार भी व्यापारियों को नुकसान झेलना पड़ेगा।

मिलनी चाहिए छूट, नहीं रुकनी चाहिए परंपरा
श्री गुग्घा म्हाड़ी सुधार सभा के अध्यक्ष गुलशन सागर, चौधरी अनिल प्रताप, महामंत्री ओम प्रकाश का कहना है कि जिले में कोरोना केस शून्य हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं को म्हाड़ी पर प्रसाद चढ़ाने की अनुमति देनी चाहिए। श्री शिव गोरखनाथ जाहरवीर सेवा समिति के संस्थापक पंकज उपाध्याय, सरदार छड़ी के भक्त विनोद प्रकाश ने बताया कि 800 साल के इतिहास में बीते वर्ष कोरोना की वजह से रोक लगी थी, लेकिन इस बार प्रशासन को छूट देनी चाहिए थी। म्हाड़ी पर स्थित गुरु गोरखनाथ गद्दी के सेवादार बृजपाल, भक्त सोनू, सुरेश ने कहा म्हाड़ी मेला अंग्रेजों के शासनकाल में भी नहीं रुका है। इस बार भी पूरी तरह अनुमति न मिलने से श्रद्धालुओं और भक्तों में मायूसी है।

800 वर्ष पूर्व बाबा ने दिया था नेजा
छड़ियों के भक्तों ने बताया बाबा जाहरवीर गोगा महाराज अक्सर गंगा स्नान के लिए हरिद्वार जाते थे। सहारनपुर में गंगोह मार्ग पर रुका करते थे। बाबा जाहरवीर ने 800 वर्ष पूर्व कबली भगत को तालाब से मछलियां पकड़े देखा था। तब कबली भगत से कहा था कि वह मछली पकड़ने का काम छोड़कर इस स्थान पर म्हाड़ी बनवाकर पूजा करें। बाबा ने कबली भगत को चांदी का नेजा दिया था।

सरसावा में बाबा जाहरवीर की ननिहाल
छड़ियों के भक्तों ने बताया बाबा जाहरवीर का जन्म राजस्थान के चुरू जिले के गांव ददरेगा में हुआ था। चुरू जिले का नाम बाद में राजगढ़ हो गया। इनके पिता का नाम जेवर सिंह और माता का नाम बाछल था। प्राचीन काल में सहारनपुर के कस्बा सरसावा का नाम सिरसा पट्टन था और जाहरवीर गोगा महाराज की माता बाछल यहीं की रहने वाली हैं। वह राजा कंवर पाल की पुत्री थी।


वाहनों के जरिये छड़ियां म्हाड़ी पर जाएंगी, लेकिन श्रद्धालुओं के जाने पर रोक रहेगी। कोरोना संक्रमण को देखते हुए शासन के निर्देशानुसार व्यवस्था की गई है। – राजेश कुमार, एसपी सिटी

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