
बिजनौर। लोन पास करने के नाम पर ग्रामीण से रिश्वत लेने के आरोप में प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक प्रियांशु त्यागी व सेवानिवृत्त चपरासी मदन को पकड़ लिया गया। ग्रामीण की शिकायत पर बैंक पहुंची केंद्रीय जांच ब्यूरो की टीम करीब 13 घंटे की जांच पड़ताल के बाद दोनों आरोपी कर्मचारियों को अपने साथ ले गई। टीम ने बैंक मैनेजर के कहने पर चपरासी को 30 हज़ार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ भी लिया था।
थाना नगीना देहात क्षेत्र के ग्राम कोटकादर निवासी सचिन पुत्र धर्मपाल का कहना है कि आटा चक्की लगाने के लिए खादी ग्रामोद्योग ने छह लाख के लोन की स्वीकृति देकर फाइल प्रथमा यू पी ग्रामीण बैंक शाखा में भेजी थी। आरोप है की प्रबंधक ने दस प्रतिशत के हिसाब से 60 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। आरोप हैं की रिश्वत न देने पर बैंक प्रबंधक द्वारा फाइल को निरस्त कर दिया गया था। पीड़ित का आरोप है कि दो महीने बाद फाइल पुनः भेजी गई तो भी प्रबंधक बिना रिश्वत लिए फाइल पास करने को तैयार नहीं हुआ। थक. हारकर सचिन ने प्रबंधक को सबक सिखाने की ठानी तथा उसने सीबीआई की गाजियाबाद टीम से संपर्क कर अपनी आपबीती सुनाई।
पूरे सुनियोजित तरीके से सीबीआई की टीम बृहस्पतिवार की दोपहर करीब ढाई बजे बैंक शाखा पहुंच गई। पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार सचिन 30 हजार रुपये की रिश्वत प्रबंधक को देने गया, जबकि 30 हजार रुपये फाइल पास होने के बाद देने की बात तय हुई। प्रबंधक ने सचिन से यह रकम चपरासी मदन को बाहर ले जाकर देने को कह दिया। सचिन द्वारा चपरासी को रकम देने के दौरान सीबीआई की टीम मदन को पकड़ कर प्रबंधक के पास ले गई। सीबीआई की टीम के अधिकारियों ने कई घंटे तक बैंक में ही प्रबंधक और चपरासी को आमने.सामने बैठाकर पूछताछ की। शुक्रवार की तड़के चार बजे अपनी पूरी प्रक्रिया करने के बाद सीबीआई गाजियाबाद की टीम दोनों आरोपी कर्मचारियों को कार में बैठाकर अपने साथ ले गई।
बताया जाता है कि आरोपी चपरासी मदन क्षेत्र के ग्राम हेजरपुर का निवासी है तथा 2015 में बैंक से सेवानिवृत हो जाने के बाद प्रबंधक की सहमति से बैंक में कार्य करता था। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि शाखा प्रबंधक रिश्वत के रुपये इसी के द्वारा लेता था। बताया जाता है की शाखा प्रबंधक प्रियांशु त्यागी जिला सहारनपुर के ग्राम नगला का रहने वाला है।