देहरादून । नैनीताल के अल्मोड़ा पुलिस की गिरफ्त में आया माओवादियों का एरिया कमांडर भास्कर पांडे तीन बार बिहार में अपने आकाओं से मिलने के लिए गया था। सेंट्रल कमेटी का आदेश मिलने पर उसने खीम सिंह की पेन ड्राइन खोला था ।
आईबी और पुलिस की पूछताछ के दौरान भास्कर ने बताया कि उसके दो भाई हल्द्वानी में जान करते हैं। एक भाई दिल्ली में काम करता है। बहन की शादी हो चुकी है। आरोपों का कहना था कि बचपन में पढ़ाई करते समय वह अपने एक अध्यापक से काफी प्रभावित हुआ था। बाद में वह खीम सिंह के साथ मिलकर किसान आंदोलन और शराब विरोधी आंदोलन में शामिल हुआ था। ईस्टर्न कमेटी का सचिव खीम सिंह सबसे अधिक भास्कर पांडे पर विश्वास करता था बाहर जाने पर वह अपना सामान भास्कर के सुपुर्द कर देता था। गिरवतारी पहले खीम सिंह अपनी पेन ड्राइव उसे (भास्कर को) सौंप चुका था। पेन ड्राइव में पार्टी के विचार और संगठन के लोगों के नंबर हैं। तीन बार गिरफ्तार आरोपी भुवन के नाम पर वह बिहार गया था। बिहार के मुंगेर, जहानाबाद सहित अन्य स्थानों पर उसकी मुलाकात सेंट्रल कमेटी के लोगों से होती थी। झारखंड के माओवादी भी बिहार में मिलते थे। खीम सिंह को जब यूपों की एटीएस ने गिरफ्तार किया का एक फरमान कोरियर के जरिये आया। कोरियर ने उसे एक पत्र सौंपा। इसमें कहा गया कि उसे अब उत्तराखंड की कमान ‘सेंट्रल कमेटी संभालनी होगी। वामपंथी विचारधारा से जुड़े पुराने लोगों से संपर्क करना होगा। उसने गंगोलीहाट से लेकर मसरी तक पुराने लोगों से संपर्क स्थापित किए। पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। कॉरियर ऐसे ऐसे करता था काम
माओवादियों की सेंट्रल कमेटी एक व्यक्ति के हाथ महत्वपूर्ण दस्तावेज या पैसे भेजती है। वहीं व्यक्ति कोरियर के नाम से जाता है। सोमवार को काठगोदाम रेलवे स्टेशन के पास भी कोरियर आने वाला था। गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ और पुलिस की टीम ने कोरियर को पकड़ने की कोशिश की लेकिन यह हाथ नहीं आ सका। पुलिस का मानना है कि कोरियर बर्दीधारियों को देखकर खिसक गया होगा। कोरियर पहले एक बार में 50 से 60 हजार रुपये तक लाता था लेकिन खीम सिंह की गिरफ्तारी के बाद पैसा आधा हो गया। भास्कर की कोरियर से भी कोड के आधार पर मुलाकात होती थी। एक बार कोरियर के नहीं आने पर फिर उसी तारीख और स्थान पर जाना पड़ता था। यानी सिर्फ महीना बदलता था। मुलाकात का समय तारीख एक ही रहती थी। मोबाइल से किसी प्रकार की बात नहीं होती थी। कभी-कभी संदेश कोड के आधार पर मिलने के लिए आता था।
एक पेन ड्राइव में छिपा है माओवाद का राज
माओवादी भारकर पांडे के पास से बरामद पेन ड्राइव में माओवादियों के नाम-पतों के साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां हैं। पुलिस ने जांच की तो पता चला कि पेन ड्राइव में पुराने घटनाक्रमों का जिक्र है। भविष्य में किस प्रकार संगठन काम करेगा, इस बारे में भी बताया गया है।