सहारनपुर। आज शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन सहारनपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री, बागपत लोकसभा के लोकप्रिय तपस्वी तेजस्वी सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह जी (कुलाधिपति, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार) मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित रहे।
डॉ सत्यपाल सिंह जी ने अपने संबोधन में कहा कि बालकों को संस्कार आधारित शिक्षा दी जानी चाहिए। वेद अथवा वैदिक ग्रंथों का विकास हजारों बर्ष के अनुभव जन्य ज्ञान के संकलन से हुआ है। वेद का अर्थ ही जानना है। जानने का अर्थ मानना नहीं है। मानने तो वे स्वयं लगते हैं जो जानने के रास्ते पर नहीं जाना चाहते, उन्हें मान लेना ही सरल लगता है।
वैदिक प्रणाली की शिक्षा का यह तात्पर्य नहीं है कि केवल और केवल वेदों-पुराणों का ही अध्ययन कराया जाए। स्कूल का आशय हम जिस तरह से लेने लगे हैं वह नही है, इसका वास्तविक मतलब एक सम्प्रदाय होता है। वैदिक प्रणाली की शिक्षा का मतलब भारतीय दार्शनिक सम्प्रदाय में शिक्षित करना है। “वसुधैव कुटुंबकम्” की अवधारणा इसी सम्प्र्दाय से उपजी भावना है।
साथ में सहारनपुर के जिला अध्यक्ष भाजपा डॉ. महेंद्र सिंह सैनी जी, श्री अशोक बटाला जी, संस्थान के सचिव डॉ. जेसी शर्मा जी, डॉ. नीरज कौशिक प्राचार्य, डॉ. रजनी शर्मा जी, श्रीमती नीरज शर्मा जी, श्री बाबू राम जी, कुलदीप कुमार जी, प्रभात सैनी जी, पारुल तोमर जी, पूनम देवी जी आदि शिक्षक गण उपस्थित रहे।।