
दिल्ली की राजनीति में बीजेपी ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर एक बड़ा दांव खेला है। इस फैसले से पार्टी ने एक साथ कई समीकरण साधे हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण रहा MMM – यानी महिला, माइनॉरिटी और मिडिल क्लास। ये तीनों वर्ग दिल्ली के चुनावों में सबसे ज्यादा प्रभाव डालते हैं। इस बार महिलाओं ने बीजेपी को जमकर वोट दिया, वहीं एग्जिट पोल बताते हैं कि मिडिल क्लास वोटर्स ने भी बीजेपी का समर्थन किया, जिसका असर चुनावी नतीजों में साफ दिखा। अल्पसंख्यक समुदाय में भी रेखा गुप्ता को लेकर ज्यादा विरोध नहीं था, जो बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुआ।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
दिल्ली में कुल 1,55,24,858 मतदाता हैं, जिनमें से 71.74 लाख यानी लगभग आधी महिलाएं हैं। इस बार 2025 विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया। आंकड़ों के मुताबिक, 60.92% महिलाएं वोट डालने के लिए घरों से निकलीं, जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 60.21% ही रहा। महिलाओं की बढ़ती भागीदारी दिल्ली की राजनीति में एक नया रुझान दिखा रही है, जिसे बीजेपी ने बखूबी समझा और एक महिला नेता को सीएम बनाकर इस वोट बैंक को मजबूत करने का फैसला लिया।
मिडिल क्लास को साधने की रणनीति
दिल्ली की लगभग 45% आबादी मिडिल क्लास से आती है। यह वर्ग लंबे समय से इस बात से असंतुष्ट था कि सरकारें सिर्फ गरीबों पर ध्यान देती हैं, जबकि उनके लिए कोई ठोस योजनाएं नहीं बनतीं। लेकिन बीजेपी ने बजट में 12 लाख तक की आय को कर मुक्त कर इस वर्ग को बड़ी राहत दी, जिससे उनकी नाराजगी दूर हुई और वे बीजेपी के पक्ष में आए। इस समर्थन को बनाए रखने के लिए बीजेपी ने वैश्य समुदाय से आने वाली रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर एक मजबूत संदेश दिया।
अल्पसंख्यक वोटर्स में ज्यादा नाराजगी नहीं
बीजेपी को अक्सर अल्पसंख्यक वोटर्स के समर्थन की कमी का सामना करना पड़ता है। लेकिन रेखा गुप्ता को लेकर इस वर्ग में वैसी नाराजगी नहीं दिखी, जैसी कुछ अन्य नेताओं के विवादित बयानों से होती थी। यही वजह रही कि बीजेपी को यहां भी फायदा मिला और MMM का यह समीकरण उसके लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ।
रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर बीजेपी ने महिला, मिडिल क्लास और माइनॉरिटी वोटर्स को साधने की कोशिश की है। इस रणनीति का असर भविष्य के चुनावों में भी दिख सकता है।