किसान महापंचायत में उमड़ा किसानों का सैलाब, भाजपा सरकारों पर जमकर हुआ प्रहार

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मुजफ्फरनगर। तीनों कृषि कानूनों के विरोध में रविवार को बुलाई गई महापंचायत में किसानों का सैलाब उमड़ पड़ा। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों ने केंद्र और प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा। राकेश टिकैत ने कहा कि मिशन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड नहीं, मिशन देश बचाने का होगा। उन्होंने कहा आज लड़ाई इस मोड़ पर आ गई कि जो 14 करोड़ लोग बेरोजगार हैं, उनके कंधों पर ये आंदोलन है।

राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने तीन बड़े धोखे दिए हैं। पहला धोखा यह कि रेल व हवाई अड्डे बेचे जाएंगे, यह घोषणा पत्र में नहीं लिखा गया था। फिर किसने यह ताकत दी? दूसरा धोखा यह किया कि बिजली बेचेंगे, प्राइवेट करेंगे, यह उनके घोषणा पत्र में नहीं था।

वहीं जब लोगों से वोट मांगी, तब नहीं कहा कि बिजली बेचेंगे, फिर अब ऐसा क्यों? तीसरा धोखा यह किया कि सड़कें बेचेंगे, उस पर टैक्स लगाएंगे। यह भी घोषणा पत्र में नहीं लिखा था। अब देख लो क्या-कया चीजें बिक रही हैं। एलआईसी जो देश की बड़ी कंपनी है लेकिन अब ये सब बिक रहे हैं। इनके खरीदार अडानी और अंबानी हैं, कोई और नहीं।

एफसीआई की जमीन, जहां हमारा पंडाल होता है, वे सब अडानी को दे दिए गए हैं। सारे गोदाम अडानी के कब्जे में है। भारत सरकार के पास अब कोई गोदाम नहीं बचा है। देश के बंदरगाह, एक-एक कर निजी कंपनियों को बेच दिए। ये बंदरगाह भी बिक गए, ये आपको जानकारी होनी चाहिए। भारत बिकाऊ है, यह भारत सरकार की पॉलिसी है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा, चिकित्सा, संविधान भी खतरे में हैं। कहा इन सभी को बचाना है। खेती किसानी, जिससे यह आंदोलन शुरू हुआ, यह भी बिकने के कगार में है। हमारी समझ में तब आया, जिसके बाद किसान आंदोनल शुरू हुआ। आज हालात ये हैं कि सड़कों पर दस साल पुराना ट्रैक्टर-टेंपो नहीं चलेगा, वह भी इसी में आता है। उन्होंने कहा कि हम जिस जमीन पर आए हैं, उत्तर प्रदेश की यह जमीन गन्ना बेल्ट है। क्या इन्होंने नहीं कहा था कि हमारी सरकार आएगी तो 450 रुपये भाव देंगे। पुरानी सरकारों ने 80 व 50 रुपये रेट बढ़ाया, क्या योगी सरकार इनसे कमजोर है, एक भी रुपया नहीं बढ़ाया। 12 हजार करोड़ से ज्यादा मिलों पर बकाया है, इन्हें मांगते हैं तो इसे राजनीति कहा जाता है। 

हम पर बहुत से आरोप लगाए गए। नौ महीने से वहां पर हैं, पूरा संयुक्त मोर्चा दिल्ली बॉर्डर पर है, हम घर नहीं जाएंगे। राकेश टिकैत ने कहा कि मैदान में आए हैं लेकिन मुजफ्फरनगर की जमीन पर पैर नहीं रखेंगे। गाड़ी से ही वापस जाएंगे, जब आंदोलन फतह होगा, देश की जीत होगी, तभी वापस आएंगे।

उन्होंने कहा यहां पुलिस फोर्स के लोग हैं, उनकी सैलरी 25-30 हजार रुपये है, ड्यूटी 24 घंटे देते हैं, उनकी आवाज को दबाया जाता है। उनकी सैलरी शिक्षकों के बराबर हो। सरकारी कर्मचारी हैं, उनकी पेंशन खत्म की जा रही है। आप देश में निजीकरण करोगे तो रोजगार खत्म होंगे। जो बड़ी-बड़ी कंपनी सरकार का रुपये लेकर भाग जाती है, उन्हें ही संस्थान बेच रहे हैं। रेलवे के साढ़े चार लाख कर्मचारी बेरोजगार होंगे। सफाई कर्मियों से बात की, पांच-छह हजार रुपये में नौकरी कर रहे हैं।

निजीकरण होगा तो ठेका प्रथा होगी और युवाओं के रोजगार जाएंगे। रेहड़ी-पटरी वाले साढ़े चार करोड़ लोग बेरोजगार होंगे। इस देश में मॉल खुलेंगे, तो मजदूर कहा जाएंगे। ये लड़ाई, जितनी भी संस्थाएं हैं, उनकी लड़ाई है। उन्होंने कहा कि ये लड़ाई तीन कानूनों और एमएसपी रेट के खिलाफ शुरू हुई। हमने लेटर दिए सभी को, कोई सुनवाई नहीं हुई। अब पूर्ण रूप से फसलों के दाम ही, तो वोट नहीं, जब तक वोट की चोट नहीं दोगे, तब तक नहीं मानेंगे।

केंद्र व प्रदेश सरकार पर टिकैत ने हमला बोलते हुए कहा कि मोदी-शाह दोनों बाहरी लोग हैं, इन्हें यहां से जाना होगा। मोदी-योगी और अमित शाह, तीनों उत्तराखंड से जीतें, हमें कोई ऐतराज नहीं, यूपी की जमीन पर ये दंगा करवाने वाले लोग हैं, इन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह तय किया जा चुका है। 

28 तारीख को भी याद कर लेना, उस रात को कोई नहीं बचना था। आंदोलन का कत्लेआम होना था, कोई नहीं बचना था। आठ हजार की संख्या में पहुंची पुलिस की आंदोलन पर कब्जा करने की नीयत थी। लेकिन जब देश की जनता साथ में खड़ी हुई तो आंदोलन बचा। ये सरकारें अगर हमारी कब्रगाह वहां बनाएगी, तब भी हम गाजीपुर बॉर्डर नहीं छोड़ेगे। आंदोलन जीतकर आएंगे, तभी वापस आएंगे। इस तरह की सरकारें देश में दंगे करवाने का काम करेंगी।
 
पहले जब टिकैत थे, तो हर-हर महादेव व अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगते थे, अब भी ये हमेशा लगते रहेंगे। ये तोड़ने का काम करेंगे, हम जोड़ने का काम करेंगे। ये देश हमारा है, प्रदेश हमारा है। आप तैयार रहना।

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