बुलंदशहर। गंगा एक्सप्रेसवे के लिए जिले में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है। इसका निर्माण कार्य शुरू होने से पहले इसकी जद में आने वाले हरे पेड़ भी काटे जाएंगे। इसके आदेश मिलते ही वन विभाग ने काटे जाने वाले पेड़ों का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है। इसके लिए वन विभाग की ओर से सर्वे किया जा रहा है। साथ ही आदेश दिया है कि भूमि अधिग्रहण से पहले पेड़ काटने पर किसान को विभाग से परमिट लेना होगा।
मेरठ से प्रयागराज के बीच बने वाले गंगा एक्सप्रेसवे बुलंदशहर की तहसील स्याना के आठ गांवों से होकर गुजरेगा। इसकी जिले में कुल लंबाई 10.5 किलोमीटर है। इसके लिए इन गांवों के किसानों की भूमि अधिग्रहण का काम भी जारी है। आठ लेन में विकसित 120 मीटर चौड़े गंगा एक्सप्रेसवे की जद में हरे पेड़ भी आएंगे। इनकी संख्या हजारों में हो सकती है। इनमें छायादार और फलदार पेड़ भी हैं।
एक्सप्रेसवे की राह में नहीं आरक्षित वन क्षेत्र
जिले में गंगा एक्सप्रेसवे की लंबाई 10.5 किलोमीटर होगी। गनीमत यह है कि इसकी राह में कोई वन क्षेत्र नहीं आ रहा है। यदि ऐसा होता तो यहां पर वन विभाग के पेड़ होते और जिले में वन क्षेत्र की जमीन जाने से जहां पेड़ काटने से हरियाली कम होती, वहीं, दूसरी ओर जिले में वन विभाग का वन क्षेत्र भी कम हो जाता।
इन गांवों से होकर गुजरेगा एक्सप्रेसवे
गंगा एक्सप्रेसवे जिले की स्याना तहसील के गांव पौटा कबूलपुर, कुचेसर, बांहपुर, बैनीपरु, हिंगवाड़ा, लाडपुर, इकलेड़ी और बीहटा से गुजरेगा।
वन क्षेत्र की नहीं कोई भूमि
सबसे अच्छी बात यह है कि गंगा एक्सप्रेसवे की राह में कोई आरक्षित वन क्षेत्र और वन भूमि नहीं है। एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए इसकी जद में आने वाले हरे पेड़ काटे जाएंगे। इसका आदेश मिलने पर जिले में पेड़ों का प्रजातिवार सर्वे कराया जा रहा है। इसके बाद काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या साफ हो सकेगी। यह कार्य जल्द पूरा कर लिया जाएगा।
गौतम सिंह, डीएफओ बुलंदशहर