लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गोरक्षा को किसी धर्म से जोड़ने की जरूरत नहीं है। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। साथ ही, गोरक्षा को मौलिक अधिकार बनाया जाना चाहिए।
जस्टिस शेखरकुमार यादव ने गोहत्या के मामले में जावेद नामक शख्स की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, हम जानते हैं कि जब संस्कृति और विश्वास को ठेस पहुंचती है, तो देश कमजोर हो जाता है।
अदालत ने कहा, मौलिक अधिकार न केवल गोमांस
खाने वालों का विशेषाधिकार है, बल्कि जो लोग गाय की पूजा करते हैं और आर्थिक रूप से गायों पर निर्भर हैं, उन्हें भी सार्थक जीवन जीने का अधिकार है।
जावेद पर गोहत्या रोकथाम अधिनियम की धारा 3, 5 और 8 के तहत आरोप हैं।
मुस्लिम शासकों ने भी लगाया था प्रतिबंध
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ हिंदुओं ने गायों के महत्व को नहीं समझा, बल्कि मुसलमानों ने भी अपने शासन में गाय को भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना। पांच मुस्लिम सहित अन्य शासकों ने गोहत्या प्रतिबंधित की थी।
बाबर, हुमायूं और अकबर ने भी अपने धार्मिक त्योहारों में गायों की बलि पर रोक लगाई थी। मैसूर के नवाब हैदर अली ने गोहत्या को दंडनीय अपराध बनाया था।