चारे में बन रहा हाइड्रोसाइनिक एसिड, पशुओं की हो रही मौत

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बिजनौर। झालू में कान्हा पशु आश्रय स्थल में गोवंश की मौत हाइड्रोसाइनिक एसिड से हुई थी। यह एक तीव्र जहर होता है जो सिंचाई के अभाव में सीधा फसल में पहुंच जाता है। माना जा रहा है कि यह प्राकृतिक रूप से ही यह चारे के माध्यम से पशुओं के अंदर गया था। जहरीला चारा खाने वाले बाकी 22 पशुओं को बचा लिया गया था। बरेली से आई रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।


नगर पंचायत झालू के कान्हा पशु आश्रय स्थल में 26 जुलाई को छह पशुओं की मौत हो गई थी व कई की हालत खराब हो गई थी। पशुशाला के कर्मचारियों द्वारा उन्हें दबाने के लिए रुकनपुर लेकर जाने पर मामले का खुलासा हुआ था। इस मामले में हिंदू संगठनों ने हंगामा करते हुए गोवंश को जहर देकर मारने का आरोप लगाया था। पशुपालन विभाग की टीम ने उपचार करके 20 से अधिक गोवंश को ठीक कर दिया था। गायों का बिसरा लेकर जांच के लिए आईबीआरआई बरेली भेजा गया था। लैब की रिपोर्ट के अनुसार गोवंश की मौत हाइड्रोसाइनिक एसिड से हुई थी। उनके अंदर इसके तत्व मिले हैं। बाकी पशुओं के शरीर में भी इस जहर का असर देखने को मिला है।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा.बिजेंद्र सिंह के अनुसार हाइड्रोसाइनिक एसिड जमीन के अंदर ही रहता है। बारिश न होने, कम होने व खेत की सिंचाई न होने पर यह ऊपर आ जाता है। नमी के लिए पौधा इस तत्व को चूस लेता है। इसका असर ज्वार व चरी में ज्यादा देखने को मिलता है। इस तरह की सूखी फसल में यह तत्व जानलेवा होता है। उनके अनुसार झालू के कान्हा पशु आश्रय स्थल में पशुओं की मौत इसी की वजह से हुई है। कुछ पशु जिन्हें पहले चारा डाला गया था उन्होंने चारे को भूसे में मिलाने से पहले ही ज्यादा मात्रा में खा लिया होगा जिससे उनकी मौत हुई।

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