नई दिल्ली। सरकार पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों में राहत देने पर विचार कर रही हैं। इसके लिए पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में लाने को तैयारी है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में 17 सितंबर को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में इस मुद्दे पर मंथन हो सकता है।
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि औद्योगिक संगठनों की मांग और कोर्ट की टिप्पणी के बाद जीएसटी परिषद में इसे चर्चा के लिए शामिल किया है। इससे उपभोक्ता मूल्य और राजस्व में बड़ा बदलाव लाने की तैयारी है। हालांकि, जोएसटी प्रणाली में कोई भी बदलाव करने के लिए समिति के तीन चौथाई (75%) सदस्यों की मजूरी लेनी होगी।
समिति में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्तमंत्र सदस्य के रूप में शामिल हैं। इनमें से कुछ वित्तमंत्री पेट्रोलियम उत्पादों को जोएसटी के दायरे में लाने के खिलाफ है, क्योंकि यह राजस्व का प्रमुख स्रोत है। सूत्रों का कहना है कि पिछले साल उत्पाद शुल्क बढ़ाकर केंद्र ने 2020-21 में पेट्रोल-डीजल पर 88% ज्यादा टैक्स वसूला है। वर्तमान में खुदरा कीमत का 50% से ज्यादा हिस्सा केंद्र में राज्यों के टैक्स का है। ऐसे में सरकार इसे जीएसटी के दायरे में लाकर उपभोक्ताओं को बड़ी राहत पर विचार कर सकती है। पेट्रोल 75 व डोजल 68 रुपये के भाव होगा।
एसबीआई रिसर्च के मुताबिक, पेट्रोल, डीजल पर जीएसटी की उच्च दर (28%) भी लगाई जाती है, तो पेट्रोल के दाम 75 रुपये और डीजल 69 रुपये प्रति लीटर पहुंच जाएगा। इससे केंद्र व राज्यों के राजस्व में करीब 1 लाख करोड़ की कमी आएगी, जो जीडीपी का महज 0.4% है। केंद्र ने अप्रैल से जुलाई तक 1 लाख करोड़ का उत्पाद शुल्क पिछले साल से 48% ज्यादा है। तेल कीमतों में वृद्धि ने समस्या पैदा की है। इसका अन्य आवश्यक वस्तुओं पर भी असर पड़ रहा है।
सरकार के लिए गैस, पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाना जरूरी है। तेल के दामों में वृद्धि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी व केंद्र-राज्य के उच्च कर को वजह से हो रही है। इसे जीएसटी में लाकर उपभोक्ताओं को राहत दी जा सकती है, जिससे विकास दर में भी तेजी आएगी। -संजय अग्रवाल, अध्यक्ष, पोएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स