
सहारनपुर। नगर निगम के निर्माण विभाग के अभियंताओं की इंजीनियरिंग इन दिनों चर्चाओं के साथ ही हास्य का विषय बनी हुई है। इंजीनियरिंग ऐसी, जिससे लोगों को राहत मिलने की बजाय आफत बनी हुई है। नालों की अधिक ऊंचाई भविष्य में सड़कों की ऊंचाई बढ़ाए जाने की उम्मीद के साथ करने का दावा है, लेकिन सड़कों को ऊंचा उठाकर कब बनाया जाएगा, इसकी कोई समय सीमा नहीं है।
बीते करीब एक साल में नगर निगम ने बड़ी संख्या में नालों का निर्माण कराया है। कई जगहों पर नालों का बेड और दोनों साइड की दीवारें सड़कों से दो से तीन फुट ऊंची बना दी गई हैं। ऐसे में पानी की निकासी होने की बजाय जलभराव का स्तर और बढ़ गया है। वार्ड संख्या आठ के गांव चकदेवली में 140 मीटर का नाला बनाया जा रहा है, जिसका ठेका 13 लाख रुपये में छोड़ा गया था। यह वही गांव है जहां 2019 में डेंगू ने कहर बरपाया था। यहां 25 से अधिक लोगों की मौत डेंगू और मलेरिया से हुई थी।
नाले का निर्माण ग्रामीणों को जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए किया गया है, लेकिन जहां जलभराव है वहां नाले का बेड सड़क से करीब डेढ़ फुट ऊंचा है। इसकी वजह से जलभराव की समस्या और बढ़ गई है। ठेकेदार का कहना है कि नाले का लेवल निर्माण विभाग के जेई यादव ने निर्धारित किया है। ग्रामीण धर्मेंद्र, प्रदीप, सीताराम आदि का कहना है कि इससे बेहतर वह पहले थे। शहर की नंदपुरी कॉलोनी में भी नालों का निर्माण किया गया है, जो सड़कों से करीब तीन फुट ऊंचे हैं। नाले सड़क से ऊंचे होने की वजह से बरसात का पानी सड़कों पर है।
मानकमऊ में भी एक नाले का निर्माण करीब चार माह पहले किया गया था। यह नाले का बेड भी सड़क से करीब एक फुट ऊपर है। नाले के दोनों ओर कॉलोनी है। नाला बीच में आने से बरसात का पानी इधर से उधर नहीं जा पा रहा है, जिसकी वजह से कॉलोनी तालाब बनी हुई है। खास बात यह है कि नालों पर लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी कई कॉलोनियों में जलभराव है। ऐसे में नगर निगम ट्यूबवेल लगाकर पानी निकलवा रहा है। नंदपुरी कॉलोनी और रामपुरी कॉलोनी में यही हालत है। गलीरा रोड पर भी नाला सड़क से करीब चार फुट ऊंचा बनाया गया है। अन्य जगहों पर भी इस तरह के निर्माण हुए हैं, जिन्हें लेकर लोग हैरान हैं।
सड़कों को लेकर कोई प्लान नहीं
जिन क्षेत्रों में नाले मौजूदा सड़कों से तीन से चार फुट ऊंचे बनाए गए हैं। वहां जलभराव की समस्या से निपटने के लिए सड़कों के उच्चीकरण की जरूरत है। मगर नगर निगम के पास उक्त स्थानों पर सड़कों के उच्चीकरण का कोई प्लान नहीं है। ऐसे में संबंधित क्षेत्रों के लोगों को प्लान तैयार होने तक जलभराव की समस्या से जूझना ही होगा।
नालों का स्तर सही रखा गया है। इसीलिए वह सड़कों से ऊंचे बन गए हैं ताकि जैसे ही सड़कें बनेंगी तो नाले अपने आप लेवल में आ जाएंगे। अभी उक्त क्षेत्रों में सड़कों के उच्चीकरण की कोई तैयारी नहीं है। जब तक सड़क नहीं बन जाती, तब तक ट्यूबवैल लगाकर पानी निकलवाया जा सकता है-कैलाश सिंह, मुख्य अभियंता, निर्माण विभाग, नगर निगम।