
नई दिल्ली l रेलवे स्टेशन पर शनिवार शाम को मची भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई। दिल्ली फायर डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बताया कि प्लेटफॉर्म 14 और 15 पर भगदड़ की सूचना रात करीब 9:55 बजे मिली, जिसके बाद दमकल की चार गाड़ियां तुरंत मौके पर भेजी गईं। घायलों को इलाज के लिए लोक नायक अस्पताल ले जाया गया। इस हादसे पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, उपराष्ट्रपति समेत कई प्रमुख नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ से अत्यंत दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं उन सभी परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपनों को खोया है। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। प्रशासन हर संभव सहायता कर रहा है।”
भगदड़ में अपनी बेटी, ससुर और सास को खोने वाले मनोज शाह ने बताया कि उनके साले मुकेश ने फोन कर उन्हें जानकारी दी कि “अचानक भगदड़ मच गई और लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे।” उन्होंने बताया कि मृतकों में कई लोग कुंभ मेले की यात्रा पर जा रहे थे। उनकी बेटी कक्षा 5 में पढ़ती थी।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “स्थिति अब नियंत्रण में है। दिल्ली पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल मौके पर हैं और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए चार विशेष ट्रेनें चलाई गई हैं।” रेलवे ने अपने आधिकारिक बयान में बताया कि शनिवार रात करीब 9:30 बजे प्लेटफॉर्म 13 और 14 के पास भारी भीड़ जमा हो गई, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति बनी। यात्रियों में अचानक घबराहट फैल गई और कुछ बेहोश हो गए, जिसके बाद अफरा-तफरी मच गई। रेलवे सुरक्षा बल और दिल्ली पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए घायलों को अस्पताल पहुंचाया। घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
रेलवे डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि “जब प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर आई, तो वहां पहले से ही भारी भीड़ मौजूद थी। स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी के देरी से आने के कारण भीड़ और बढ़ गई थी। लगभग 1,500 जनरल टिकट जारी किए गए थे, जिससे स्थिति और खराब हो गई। प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 1 के पास एस्केलेटर पर भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।”
कांग्रेस ने इस हादसे को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “महाकुंभ जा रहे कई यात्रियों की मौत की खबर बेहद दर्दनाक है। मोदी सरकार को मृतकों के शव उनके परिवारों को सौंपने की व्यवस्था करनी चाहिए और उन्हें उनके घरों तक भेजना चाहिए।” कांग्रेस ने पूछा कि “सरकार को पहले से पता था कि महाकुंभ जारी है, तो अतिरिक्त ट्रेनें क्यों नहीं चलाई गईं? रेलवे स्टेशन पर भीड़ को नियंत्रित करने की उचित व्यवस्था क्यों नहीं की गई? इस हादसे की जिम्मेदारी किसकी है?”
दिल्ली की निवर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी ने भी इस घटना को लेकर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने एक्स पर लिखा, “महाकुंभ के लिए जा रहे श्रद्धालुओं के साथ इस तरह की घटना बहुत दुखद है। सरकार को लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए थी।”
लोक नायक अस्पताल में, जहां घायलों को भर्ती कराया गया, वहां आधी रात के बाद पुलिस की सुरक्षा बढ़ा दी गई और मुर्दाघर तक पहुंच सीमित कर दी गई। रेलवे स्टेशन पर भी भगदड़ के घंटों बाद तक अफरा-तफरी का माहौल था, जहां घायलों का सामान एक कोने में पड़ा मिला। इसमें जूते, पानी की बोतलें, बैग और कपड़े शामिल थे।
गुड़गांव निवासी 24 वर्षीय कमलेश कुमारी ने बताया कि “मैं सीढ़ियों पर थी, और अचानक सभी लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। मुझे नहीं पता कि क्या हुआ।” उन्होंने बताया कि उनकी पीठ में चोट आई है और भगदड़ के दौरान उनका नकदी वाला बैग भी गायब हो गया। कमलेश को झांसी के लिए ट्रेन पकड़नी थी।
वहीं, 22 वर्षीय अमन गिरी, जिन्होंने इस भगदड़ में अपनी मां सीलम को खो दिया, ने कहा कि “हमारा परिवार कुंभ मेले के लिए ट्रेन पकड़ने जा रहा था। मैंने मां को मना किया था कि मत जाओ।” उनके पिता को पैर में चोट आई है। उन्होंने बताया, “मेरी मां भारी शरीर की थीं, इसलिए भगदड़ से बचने के लिए सीढ़ियों तक नहीं पहुंच पाईं।”